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अपनों से मिलकर खुश हुआ मंगल

जामताड़ा : खुशी हो या गम आंसू तो छलक ही जाते हैं. सात साल बाद जब मंगल ने पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर जब अपनी सरजमीं पर कदम रखा तो उसके और उसे परिजनों के आंखें छलक उठीं. पिता की जो आंखें आस छोड़ चुकी थी कि शायद वह अब मंगल का कभी दीदार […]

जामताड़ा : खुशी हो या गम आंसू तो छलक ही जाते हैं. सात साल बाद जब मंगल ने पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर जब अपनी सरजमीं पर कदम रखा तो उसके और उसे परिजनों के आंखें छलक उठीं. पिता की जो आंखें आस छोड़ चुकी थी कि शायद वह अब मंगल का कभी दीदार कर पायेगा, लेकिन सोमवार को जब देखा तो खुशी के मारे वे फूले नहीं समा रहे थे. हावड़ा अमृतसर एक्सप्रेस से वह एक पुलिस पदाधिकारी व अपने छोटे भाई के साथ जामताड़ा पहुंचा था. उसके स्वागत में गांव के मुखिया के नेतृत्व में पूरा गांव जुटे थे.
सबने फूल माला पहना कर मंगल का स्वागत किया. सात साल तक पाकिस्तान की जेल में बंद मंगल मानसिक रूप से कमजोर हो चुका था. उसे अपना पता भी सही से मालूम नहीं था. पाकिस्तान से तो 29 नवंबर 2014 को उसे भारत भेज दिया गया. लेकिन अमृतसर आने के बाद उसका पता ढूंढने में सरकार को दो महीने लग गये. जब मंगल के घर-बार के बारे में अमृतसर के प्रशासन को पता चला तो उसने दुमका जिलाधिकारी को फोन कर इसकी जानकारी दी. इसके बाद जामताड़ा के प्रशासन ने मंगल के घर वालों को जानकारी दी.
मंगल कैसे पहुंचा पाकिस्तान
बात सात साल पुरानी है. परिजन कहते हैं कि मंगल की पत्नी उसे छोड़ कर चली गयी. जिस कारण वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया और घर से निकल गया. गोपालपुर से भटकता-भटकता मंगल बाघा सीमा को पार कर पाकिस्तान पहुंच गया. वहां के प्रशासनिक नियम कानून के अनुसार जब पाकिस्तान में एक भारतीय को देखा गया तो उसे वहां के प्रशासन ने पकड़ लिया और जेल में बंद कर दिया. इसके बाद से उसका पता ढूंढा जाने लगा. उसने अपना नाम वहां सिर्फ मंगल बताया था. पाकिस्तान की सरकार ने बाघा सीमा के आसपास पास का रहने वाला सोच कर मंगल का पासपोर्ट मंगल सिंह के नाम से बनवाया. भारतीय दूतावास से यह तैयार कराया गया और उसे अमृतसर भेज दिया.
अह्वादित हुए पिता व पुत्र
गांव पहुंचने पर मंगल का बेटा काफी अह्वादित था. उसकी खुशी के ठिकाने नहीं थे. पिता सदन मरांडी ने कहा जिस बेटे को देखने की आस छोड़ चुका था, उससे मिला तो दुनियां की सारी खुशी मिल गयी.
एसडीपीओ ने सौंपा परिजन को
जामताड़ा पहुंचने के बाद पुलिस पदाधिकारी मंगल को सबसे पहले अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राजबली शर्मा के पास ले गये. वहां से एसडीपीओ ने मंगल को उसके परिजनों के साथ घर भेज दिया.

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