रसगुल्ला बंगाल का आविष्कार था और वहीं का रहेगा. स्वाद व डिमांग के कारण यह पूरी दुनिया का सबसे पसंदीदा मीठा बन चुका है. यह हमारे लिए गर्व की बात है. रसगुल्ला को अपना कहने का ओड़िशा का तर्क गलत है. ये बातें रसगुल्ला किंग और रसगुल्ला के आविष्कारक कोलकाता के केसी दास के वंशज और अब कंपनी के सीएमडी धीमन दास ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में कहीं. धीमन दास पूजा स्वीट्स के नये आउटलेट के उद्घाटन के लिए शहर आये थे.
धीमन दास ने बंगाल और ओड़िशा के बीच रसगुल्ला विवाद (Rosogolla Controversy) पर खुलकर बात की. कहा कि वर्ष 1868 में उनके पूर्वज (केसी दास) ने कोलकाता के बागबाजार स्थित अपनी छोटी-सी दुकान में पहली बार रसगुल्ला बनायी थी. प्रभु जगन्नाथ को जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, वह खिरमोहना है, रसगुल्ला नहीं. उन्होंने मिठाई उद्योग के बारे में कई नयी और रोचक जानकारी भी साझा की. कहा कि आज भारत का मिठाई उद्योग एक लाख करोड़ रुपये का है. इसमें अकेले बंगाल का हिस्सा 15 से 20 प्रतिशत है.
धीमन दास ने कहा कि हर प्रदेश की अपनी विशेष मिठाई है. रसगुल्ला को उन्होंने पैरेंट्स स्वीट्स की संज्ञा देते हुए कहा कि अन्य छेना की मिठाइयां उसी पर आधारित हैं. उन्होंने बताया कि वे शाकाहारी लोगों के लिए एक ऐसी मिठाई ला रहे हैं, जो पूरी दुनिया में सबसे अलग होगा. हालांकि, उन्होंने उसका नाम और प्रकार बताने से फिलहाल इनकार किया. कहा कि बहुत जल्द वे इस प्रोडक्ट को बाजार में लांच करेंगे.
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पश्चिम बंगाल के मीठा उद्योग के अध्यक्ष तथा फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन से जुड़े धीमन दास से मीठा और फूड उद्योग के क्षेत्र में मिलावट से इनकार नहीं किया. कहा कि हम लोगों के जीवन में मिठास भरने का काम करते हैं, मिलावटखोर लोगों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं. बिना मिलावट के मीठा या फूड आइटम लोगों तक पहुंचे, यह सरकार को सुनश्चित करना होगा.