जमशेदपुर: लोयोला स्कूल के पूर्व छात्र ने शहर को गौरवान्वित किया है. पूर्व छात्र अनुराग गांधी के शोध कार्य को यूएसए में मेडिकल साइंस की टेक्स्टबुक में शामिल किया गया है. अगस्त 2013 में ही इसे शामिल किया गया. लोयोला स्कूल एल्युमिनाई एसोसिएशन द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को उक्त जानकारी दी गयी.
इस दौरान एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ केपी दूबे ने अनुराग को सम्मानित किया. कहा कि अनुराग की मेहनत का फायदा भारतीय मेडिकल फ्रैटरनिटी को भी मिलेगा. वे समय-समय पर मेडिकल साइंस के क्षेत्र में दुनिया में होने वाले नये-नये प्रयोगों से भारतीय डॉक्टरों को अवगत कराते रहेंगे. अनुराग बुधवार को बेंगलुरु के लिए रवाना होंगे, जहां से वे यूएसए चले जायेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में एल्युमिनाई एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ केपी दूबे के अलावा सचिव राजीव तलवार, अनुराग के पिता डॉ केएम गांधी समेतर् अन्य लोग उपस्थित थे.
1998 बैच का छात्र है अनुराग : अनुराग लोयोला स्कूल के 1998 बैच का छात्र है. अनुराग ने बताया कि चिकित्सा के परिवेश में ही वे बड़े हुए. माता-पिता डॉक्टर हैं. 12 वीं के बाद एमबीबीएस के लिए बेंगलुरु के संत जोंस मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया. इसके बाद यूनाइटेड स्टेट्स मेडिकल लाइसेंसिंग एग्जाम (यूएसएमएलक्ष्) के तहत इंटर्नशिप के लिए यूएसए चला गया. तीन साल की इंटर्नशिप के दौरान दूसरे साल डॉ बेóोट के करीब आने का मौका मिला. डॉ बेóोट ने इन्फेक्शस डिजीजेज (आइडी) पर किताब लिखी थी, जिसे देखने के बाद ही उन्हें मेडिकल साइंस में इएनटी को लेकर एक किताब लिखने की प्रेरणा मिली. डॉ अनुराग गांधी ने इएनटी इन्फेक्शन पर आधारित एक किताब लिखी, जिसके बाद उन्हें 2013 में इन्फेक्शस डिजीजेज सोसायटी ऑफ अमेरिका का सदस्य बनाया गया.
भारत को क्या होगा फायदा : डॉ अनुराग गांधी के रिसर्च से पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत को भी फायदा मिलेगा. डॉ अनुराग के अनुसार भारत अब भी रिसर्च वर्क में काफी पीछे है.
एल्युमिनाई एसोसिएशन 27 साल से कर रहा है मरीजों की सेवा : लोयोला स्कूल एल्युमिनाई एसोसिएशन की स्थापना 1984 में की गयी थी. एसोसिएशन ने वर्ष 1987 में हर शनिवार को लोयोला स्कूल ग्राउंड में मेडिकल चेकअप कैंप के आयोजन का निर्णय लिया, जो अब तक चल रहा है. 27 वर्षो में हजारों मरीजों का मुफ्त इलाज होने की बात डॉ केपी दूबे ने बतायी. उन्होंने बताया कि स्कूल के पूर्व छात्र कई वोकेशनल कोर्सेज के जरिये भी समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं.