सरकार ने टाटा काे इस बात की छूट प्रदान की कि वह अपने खरीददाराें से टैक्स वसूल कर अपने पास रखे आैर तय समय पर सरकार काे जमा कर दे. इस आदेश के बाद टाटा स्टील के पास 186 कराेड़ रुपये जमा हाे गये थे. इसके बाद जब वाणिज्य कर विभाग ने रकम मांगी ताे विवाद हाे गया आैर मामला सुप्रीम काेर्ट तक जा पहुंचा. इसके बाद अदालत ने टाटा स्टील काे पैसा लाैटाने काे कहा. सरकार ने इस पर 2.5 प्रतिशत मासिक ब्याज की मांग कर डाली, जिसके बाद एक प्रतिशत पर फैसला हुआ, जिस पर दाेनाें पक्षाें में सहमति बनी.
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सुप्रीम काेर्ट के आदेश के बाद वाणिज्य कर विभाग को मिली राशि, टाटा स्टील ने जमा कराये 77.19 कराेड़
जमशेदपुर: सुप्रीम काेर्ट के आदेश के बाद टाटा स्टील ने बुधवार देर शाम वाणिज्य कर विभाग के मद में 77.19 कराेड़ रुपये (77,19,47,348) जमा करा दिये है. जमशेदपुर वाणिज्य कर के संयुक्त आयुक्त रघुवंश मणि लाल ने बताया कि टाटा स्टील की त्वरित कार्रवाई से वाणिज्य कर विभाग के अरबन कार्यालय से कंपनी प्रबंधन काे […]
जमशेदपुर: सुप्रीम काेर्ट के आदेश के बाद टाटा स्टील ने बुधवार देर शाम वाणिज्य कर विभाग के मद में 77.19 कराेड़ रुपये (77,19,47,348) जमा करा दिये है. जमशेदपुर वाणिज्य कर के संयुक्त आयुक्त रघुवंश मणि लाल ने बताया कि टाटा स्टील की त्वरित कार्रवाई से वाणिज्य कर विभाग के अरबन कार्यालय से कंपनी प्रबंधन काे प्रशंसा पत्र भेजा गया है.
टाटा स्टील के पास अब वाणिज्य कर विभाग का 16.70 कराेड़ रुपये बकाया रह गया है, जिसका भुगतान कंपनी प्रबंधन ने अगस्त माह में करने का वायदा किया है. दस मई काे सुप्रीम काेर्ट ने टाटा स्टील को 186 कराेड़ की बकाया राशि पर डिफरमेट स्कीम के अंतर्गत एक फीसदी के आधार पर ब्याज का भुगतान वाणिज्य कर विभाग काे तुरंत करने का आदेश दिया था. इसके लिए 12 मई तक की माेहलत दी गयी थी. जमशेदपुर में वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त रहे रंजन सिन्हा ने सुप्रीम काेर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई में 77.19 कराेड़ रुपये जमा कराने का आदेश जारी किया गया है. तत्कालीन वाणिज्य कर सचिव निधि खरे के कार्यकाल में यह मामला सुप्रीम काेर्ट पहुंचा था.
वाणिज्य कर विभाग में बंटे लड्डू. वाणिज्य कर विभाग में फैसले आने के बाद एक वरीय अधिकारी ने लड्डू मंगा कर बंटवाये. उन्हाेंने कहा कि यह सभी विभागीय पदाधिकारियाें की मेहनत का परिणाम है, जिसमें सफलता हासिल हुई है.
बिहार सरकार के कार्यकाल में मिली थी वैट पर छूट, 2006 में बंद हाे गयी
टाटा स्टील काेल्ड राेलिंग मिल काे बिहार सरकार ने टैक्स में छूट प्रदान की थी. झारखंड गठन के बाद भी छूट का लाभ टाटा स्टील काे मिल रहा था. 2006 में राज्य में वैट लागू हाेने के बाद छूट का लाभ मिलना बंद हाे गया. वैट अधिनियम में छूट का प्रावधान नहीं हाेने के कारण वाणिज्य कर विभाग ने उस पर टैक्स वसूलने का फैसला किया. टाटा स्टील की आेर से बिहार वित्त नियामावली के तहत मिली छूट काे आठ साल तक की अवधि तक जारी रखने की अपील की गयी थी.
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