जमशेदपुर: बड़ी उम्मीद के साथ बीएड में बेटी का एडमिशन कराया था. एडमिशन के करीब एक माह बाद ही वह दुनिया से चल बसी. अब एडमिशन फीस के रूप में दी गयी राशि के लिए आये दिन कॉलेज का चक्कर लगा रहा हूं, मगर निराशा ही हाथ लग रही है. यह दर्द है 72 वर्षीय वीर बहादुर प्रसाद का. वह केबुल कंपनी से सेवानिवृत्त व काशीडीह, लाइन नंबर-1 निवासी हैं.
गत 30 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी संगीता कुमारी का वीमेंस कॉलेज बीएड में एडमिशन कराया था. संगीता (रोल नंबर-50, सत्र 2013-14) अभी क्लास भी नहीं कर सकी थी कि एमटी मलेरिया ने उसे चपेट में ले लिया और गत 29 सितंबर को उसकी मौत हो गयी. उसका श्रद्ध-कर्म करने बाद पिता वीर बहादुर सिंह ने कॉलेज में शुल्क की राशि 26,500 रुपये वापस करने के लिए आवेदन किया. इस पर कॉलेज की ओर से उन्हें राशि रिफंड करने की बात कही गयी है, लेकिन तीन महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय के नियमों का पेंच फंसा है. श्री प्रसाद ने बताया कि वह हर सात-आठ दिन पर कॉलेज आते हैं.
पहले बताया गया कि संगीता की जगह पर किसी छात्र का एडमिशन होने पर उन्हें राशि वापस कर दी जायेगी. अब एडमिशन भी हो चुका है, लेकिन रुपये रिफंड नहीं हुए हैं. इसके लिए वह शुक्रवार को भी कॉलेज आये थे. उन्हें बताया गया कि विश्वविद्यालय से अभी अनुमति नहीं मिली है. श्री प्रसाद ने बताया कि इस स्थिति के लिए वह कॉलेज नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय को ही जिम्मेवार मानते हैं. इसलिए अब केयू के कुलपति को लिख कर वस्तुस्थिति से अवगत करायेंगे.