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35,744 करोड़ रुपये देती है सालाना टैक्स, टाटा ने भारत को आर्थिक समृद्धि दी

जमशेदपुर : जमशेदजी नसरवानजी टाटा के एक विजन और सपने ने पूरी दुनिया में भारत को अलग पहचान दिलायी. कॉटन से स्टील इंडस्ट्री में कदम रखने वाले जमशेदजी के सपने को साकार करते हुए आज टाटा ग्रुप चाय, नमक समेत कई वस्तुओं के उत्पादन में भी अपनी धाक जमा चुका है. यद्यपि टाटा का मुख्यालय […]

जमशेदपुर : जमशेदजी नसरवानजी टाटा के एक विजन और सपने ने पूरी दुनिया में भारत को अलग पहचान दिलायी. कॉटन से स्टील इंडस्ट्री में कदम रखने वाले जमशेदजी के सपने को साकार करते हुए आज टाटा ग्रुप चाय, नमक समेत कई वस्तुओं के उत्पादन में भी अपनी धाक जमा चुका है.

यद्यपि टाटा का मुख्यालय महाराष्ट्र (मुंबई) में है, लेकिन झारखंड टाटा की कर्मस्थली रही है. जमशेदजी नसरवानजी टाटा ने 1868 में टाटा ग्रुप की स्थापना की थी. दक्ष इंजीनियर के साथ मिलकर उन्होंने कालीमाटी (वर्तमान जमशेदपुर) में स्टील कंपनी स्थापित करने का सपना देखा. उस सपने को विस्तार देते हुए वर्तमान में टाटा स्टील सौ से अधिक कंपनियों का ग्रुप (6,65,185 करोड़ रुपये का) बन चुका है.

यह ग्रुप 11 महाद्वीप के 100 देशों में फैला हुआ है. एक सौ से अधिक इसकी ऑपरेटिंग कंपनियां काम कर रही हैं. इनमें से 32 कंपनियां पब्लिक लिस्टेड हो चुकी हैं. इसमें से 58 फीसदी हिस्सेदारी विदेशों में किये गये अधिग्रहण में है. टाटा ग्रुप की वर्तमान कंपनियों का रेवेन्यू 108.78 बिलियन यूएस डॉलर तथा इसका मुनाफा 6.7 बिलियन डॉलर है. कुल पूंजी 117.9 बिलियन तक पहुंच चुकी है. इसके अधीन छह लाख लोग काम कर रहे हैं.
देश व राज्य के विकास में अहम भूमिका. जमशेदजी नसरवानजी टाटा का ध्येय था कि जो भी कमायें, उसका एक हिस्सा देश व समाज के विकास पर खर्च हो. उन्हीं के आदर्श पर चलते हुए टाटा स्टील आगे बढ़ रही है. देश के साथ-साथ झारखंड को आगे बढ़ाने में टाटा घराने का अहम योगदान रहा है. आज टाटा समूह से जुड़ी करीब 22 कंपनियां शहर में काम कर रही हैं. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक टाटा ग्रुप झारखंड सरकार को सालाना करीब 800 करोड़ रुपये टैक्स देता है.
कई राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं को दिया जन्म. जमशेदजी नसरवानजी टाटा का विजन था कि कंपनियाें की स्थापना के साथ-साथ आसपास सामाजिक कार्य भी हों. यही वजह है कि कंपनी क्षेत्र के आसपास सड़क, पानी, बिजली से लेकर तमाम नागरिक सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं. इस कड़ी में टाटा घराने ने शिक्षा और युवाओं में गुणात्मक क्षमता के विकास के लिए भी बेहतर काम किया है. जमशेदपुर ही नहीं, पूरे देश में शिक्षण व शोध संस्थान खोले गये हैं.
225 करोड़ रुपये सामाजिक सरोकार पर खर्च. सामाजिक सारोकार के तहत टाटा और टाटा स्टील ग्रुप ने 225 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.
जमशेदजी टाटा का नवसारी टू मुंबई फिर कालीमाटी तक का सफर
3 मार्च 1839 : जमशेदजी टाटा का जन्म नवसारी, गुजरात में हुआ
1853 : एलफिंस्टन इंस्टीटयूट, मुंबई में दाखिला लिया
1858 : ग्रीन स्कॉलर के रूप में उत्तीर्ण हुए
1859 : अपने पिता नसरवानजी के संस्थान में काम करना शुरू किया. संयुक्त मैनेजर के तौर पर उन्होंने कंपनी का नया ब्रांच हांगकांग में खोलकर सबको चकित कर दिया
1867: जमशेदजी टाटा ने मैनचेस्टर में थॉमस कारलिल का भाषण सुना, जिसमें यह कहा गया था कि जिस देश के पास लोहा होगा, उसका ही सोने पर नियंत्रण हो सकता है
1868 : जमशेदजी ने निजी व्यावसायिक संस्थान सेंट्रल प्रोविंस में शुरू किया
1869 : जेएन टाटा ने अपनी पहली कॉटन के सामानों की एलेक्जेंडर मिल खोली
1869 : छह माह तक लंकाशायर में कॉटन उद्योग की पढ़ाई की
1874 : देश की सबसे पहली ज्वाइंट स्टॉक कंपनी के तौर पर स्पिनिंग, वीविंग व मैनुफैक्चरिंग कंपनी मुंबई में खोली
1874 : मुंबई में जेएन टाटा ने एलफिंस्टन क्लब की स्थापना की
1877 : एक जनवरी को एम्प्रेस मिल की स्थापना की
1882 : जेएन टाटा ने जर्मन जियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट पढ़ी कि सेंट्रल प्रोविंस (वर्तमान में मयूरभंज से लेकर पूरा कोल्हान) के चंदा इलाके में बड़े पैमाने पर लौह अयस्क का भंडार है. उस वक्त उनको पहली बार भारत में स्टील प्लांट खोलने का ख्याल आया.
1885 :भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में वे शामिल हुए
1886: जेएन टाटा ने स्वदेशी आंदोलन को गति देते हुए बीमार उद्योग धरमसी मिल को खरीद लिया. आठ साल में ही स्वदेशी कपड़ों का एक बड़ा बाजार देश में तैयार हुआ. वहीं, नवसारी में कृषि उद्योग को बढ़ावा देने का काम भी शुरू कर दिया.
1887 : जमशेदजी टाटा ने दोराबजी टाटा और आरडी टाटा के साथ पार्टनरशिप कंपनी के तौर पर टाटा एंड संस का गठन किया
1892 : 25 लाख की राशि से जेएन टाटा एंडॉमेंट स्कीम की शुरुआत की
1893 : देश के पहले जिमखाना चेंबर की स्थापना की
1894 : देश के पहले सिल्क फार्म की स्थापना मैसूर की एक बीमार कंपनी का अधिग्रहण कर की
1898 : मुंबई में ताजमहल होटल के निर्माण की शुरुआत की, जिसकी आधारशिला अपोलो रिक्लेमेशन ग्राउंड में रखी गयी
1899: जेएन टाटा की योजना को लॉर्ड कजर्न ने स्वीकार किया, जिसके बाद यह संस्थान आगे चलकर 1911 में इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस बना.
1900 : अंग्रेजों की हुकूमत में भारत के सचिव लॉर्ड जॉर्ज हेमिल्टन से इंग्लैंड जाकर मुलाकात की
1902 : जेएन टाटा ने यूएस जाकर बर्मिंघम में कोकिंग प्रोसेस की जानकारी ली. उन्होंने क्लीवलैंड जाकर जूलियन केनेडी से मुलाकात की, जिन्होंने उनको स्टील प्लांट की स्थापना के लिए चार्ल्स पेज पेरिन को कंसल्टिंग इंजीनियर बनाने की सलाह दी
1903 : अप्रैल में चार्ल्स पेज पेरिन के पार्टनर सीएम वेल्ड दोराबजी टाटा व शापुरजी सकलतवाला के साथ पहुंचे. इसी समय मुंबई का होटल ताज खोला गया, जो मुंबई की पहली ऐसी बिल्डिंग थी, जिसे बिजली से रौशन करने की व्यवस्था की गयी
1904 : भारतीय भूगर्भशास्त्री पीएन बोस ने टाटा स्टील की स्थापना के लिए गुरुमहिसानी में आयरन ओर होने की जानकारी जेएन टाटा को दी
1904 : 19 मई को जमशेदजी नसरवानजी टाटा का जर्मनी के बैड न्यूहाइम में देहांत हो गया.
(* स्रोत कंपनी की टाटा आर्काइव रिपोर्ट)

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