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20 बच्चों के क्लास रूम में पढ़ाती हैं चार टीचर

जमशेदपुर: दस दिन पहले तीन देशों के शैक्षणिक भ्रमण पर गयी पांच महिला प्रिंसिपलों की टीम रविवार सुबह शहर लौटी. आने के बाद टीम की सदस्यों ने संवाददाता सम्मेलन कर यात्रा के अनुभव साझा किये. इस दौरान उन्होंने कहा कि विदेशी स्कूलों में पठन-पाठन के तरीकों अौर वहां की संस्कृति से जुड़ी कई अहम जानकारियों […]

जमशेदपुर: दस दिन पहले तीन देशों के शैक्षणिक भ्रमण पर गयी पांच महिला प्रिंसिपलों की टीम रविवार सुबह शहर लौटी.
आने के बाद टीम की सदस्यों ने संवाददाता सम्मेलन कर यात्रा के अनुभव साझा किये. इस दौरान उन्होंने कहा कि विदेशी स्कूलों में पठन-पाठन के तरीकों अौर वहां की संस्कृति से जुड़ी कई अहम जानकारियों को कलमबंद किया गया है.

जमशेदपुर: विदेश यात्रा पर गयी टीम के सदस्यों से वहां के दो स्कूल प्रबंधन से जुड़े सदस्यों ने कहा कि यह प्रोसेज आगे भी जारी रहे. इसके लिए शुरुआत करनी चाहिए. इसे लेकर तय किया गया कि दो स्कूलों के बच्चे परिवार के सदस्यों के साथ कुछ दिनों तक भारत के स्कूलों में रहेंगे अौर एकेडमिक की जानकारी लेंगे.

सीबीएसइ अौर सीआइसीएसइ बोर्ड को भेजा जायेगा ड्राफ्ट. विदेश दौरे पर जाने से पहले इसकी जानकारी सीबीएसइ अौर सीआइसीएसइ बोर्ड के साथ ही झारखंड सरकार को दी थी. अब एकेडमिक के क्षेत्र में निकलकर सामने आने वाली अच्छी बातों को एक ड्राफ्ट के जरिये सरकार अौर बोर्ड को भेजा जायेगा. ताकि, इसका फायदा भारतीय स्कूलों को भी मिल सके.
इन प्रिंसिपलों ने लिया हिस्सा. माउंट लिटराजी स्कूल की डायरेक्टर ललिता सरीन, एडीएल सनशइन इंगलिश स्कूल की प्रिंसिपल इंद्राणी सिंह, गुलमोहर हाइस्कूल की प्रिंसिपल सुनीता सिन्हा, एमएनपीएस की प्रिंसिपल आशु तिवारी व केएसएमएस की प्रिंसिपल नंदिनी शुक्ला
इन स्कूलों का किया दौरा. अय्यरवेड्डी इंटरनेशनल स्कूल व होरीजन इंटरनेशनल स्कूल (मेंडले), इंटरनेशनल स्कूल नाएप्यीडॉ, म्यांमार इंटरनेशनल स्कूल व नेटवर्क फाउंडेशन स्कूल यंगून, स्कॉट इंटरनेशनल स्कूल व मॉडर्न इंटरनेशनल स्कूल बैंकॉक.
विदेश में क्या देखा
स्कूलों में किताबी ज्ञान देने के साथ ही नौनिहालों को बचपन से ही धर्म अौर शांति का पाठ पढ़ाया जाता है.
म्यांमार अौर थाइलैंड में स्कूलों में अभिभावक अौर सरकार का प्रेशर न के बराबर है.
गरीब होने के बावजूद हर परिवार दान जरूर करता है.
बच्चों पर किसी प्रकार का कोई एकेडमिक प्रेशर नहीं रहता, वे हाइस्कूल के बाद विदेश चले जाते हैं, पढ़ायी पूरी होने के बाद वापस आकर देश के लिए काम करते हैं.
म्यांमार में आर्मी गवर्मेंट हैं, इस कारण से स्कूलों पर ज्यादा फोकस नहीं रहता, गरीबी की वजह से बच्चे स्कूल कम पहुंचते हैं, वहीं, उन्हें पढ़ाने के लिए एक क्लासरूम में 20 बच्चे पर 4 टीचर रहती हैं.
थाइलैंड अौर म्यांमार में बच्चों को लेशन को याद करवाने पर बल दिया जाता है.
बच्चे डेस्क बेंच पर नहीं, जमीन पर दरी या चटाई पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं.
पब्लिक के योगदान से स्कूल चलते हैं.

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