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सर्दी को खेल नहीं समझें ::::असंपादित

सर्दी को खेल नहीं समझें ::::असंपादितकहते हैं कि सेहत बनाने के लिए सर्दी सबसे अच्छा मौसम होता है, लेकिन यह अपने साथ सेहत से जुड़ी कई समस्याएं भी लेकर आता है. खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह मौसम ज्यादा देखभाल की मांग करता है. इस उम्र में थोड़ी सी असावधानी भी जान के लिए […]

सर्दी को खेल नहीं समझें ::::असंपादितकहते हैं कि सेहत बनाने के लिए सर्दी सबसे अच्छा मौसम होता है, लेकिन यह अपने साथ सेहत से जुड़ी कई समस्याएं भी लेकर आता है. खासकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह मौसम ज्यादा देखभाल की मांग करता है. इस उम्र में थोड़ी सी असावधानी भी जान के लिए खतरा साबित हो सकता है. डॉक्टरों की मानें तो सर्दी में बुजुर्गों और बच्चों को ज्यादा देखभाल करने की जरूरत होती है. लाइफ @ जमशेदपुर की रिपोर्ट … एमजीएम मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ निर्मल कुमार के मुताबिक ऐसे बुजुर्ग जो पहले से किसी रोग से ग्रसित हैं उनमें इस मौसम में रोगों से लड़ने की क्षमता और कम हो जाती है. देखें तो बुजुर्ग प्राय: डायबिटीज, किडनी व हार्ट संबंधी बीमारी, दमा, सीओपीडी जैसे रोग से ग्रसित होते हैं. ऐसे लोगों को इस मौसम में अधिक दिक्कत होती है. दमा व सीओपीडी रोगी : जनरल फीजिशियन डॉ बलराम झा बताते हैं कि दमा के रोगी को ठंड में अधिक परेशानी होती है. अगर सही से देखभाल नहीं की गयी तो रोग बढ़ सकता है. रोग बढ़ने पर न्यूमोनिया होने का डर रहता है. इसलिए अगर दमा के रोगी को सर्दी-खांसी होती है तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. कई बार रोगी सर्दी-खांसी को नजर अंदाज कर देता है. इससे दमा बढ़ सकता है. यह खतरनाक स्थिति तक पहुंच सकता है. इसी तरह से सीओपीडी यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनेरी डिजीज होने पर रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है. सर्दी के दिनों में ऐसे रोगी को भी न्यूमोनिया होने का खतरा रहता है. हार्ट के रोगी रहें सावधान : ठंड में सबसे अधिक खतरा हार्ट के रोगी को रहता है. डॉ बलराम झा के मुताबिक इस मौसम में हर हाल में हार्ट के रोगी को सेहत का ख्याल रखना चाहिए. अगर असावधानी बरती गयी तो ठंड लग सकती है और हार्ट अटैक हो सकता है. वह बताते हैं कि अन्य मौसम के बनिस्बत सर्दी में बुजुर्गों में हार्ट अटैक की संख्या बढ़ जाती है. इसलिए इस मौसम में हार्ट रोगी को बराबर चेकअप कराना चाहिए. किडनी रोगी : किडनी रोगी के लिए सर्दी का मौसम परेशानी का सबब बन जाता है. अन्य मौसम की तुलना में सर्दी में किडनी के रोगी की इम्यूनिटी पावर कम हो जाती है. उनमें बैक्टीरियल और वाइरल इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. डायबिटीज रोगी : यह मौसम डायबिटीज रोगी के लिए कम परेशान करने वाला नहीं होता. उन्हें भी कई तरह के इंफेक्शन हो सकते हैं. उनका डायबिटीज अनकंट्रोल हो सकता है. इसलिए उन्हें सर्दी से बचने के साथ-साथ समय पर दवा जरूर लेना चाहिए और नियमित चेकअप भी करना चाहिए. इस मौसम में मधुमेह के मरीजों में दिल और मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सर्दियों में रक्तवाहिनी सिकुड़ जाती हैं और रक्तचाप भी बढ़ जाता है. सर्दी-खांसी और बुखार के कई वायरस होते हैं. बच्चों की देखभाल भी जरूरी इस मौसम में छोटे बच्चों को ठंडी हवा के बचाकर रखना चाहिए. जानकारों के मुताबिक सर्दी सबसे ज्यादा सिर, कान और पैरों के जरिए शरीर में प्रवेश करती है. डाॅ निर्मल कुमार के मुताबिक इस मौसम में बच्चों में सर्दी, खांसी और बुखार अधिक होता है. इसके अलावा टोंसिलाइटिस व फैरिन्जाइटिस की समस्या भी देखने को मिलती है. टोंसिलाइटिस टोंसिल संबंधी समस्या की वजह से और फैरिन्जाइटिस गले में दिक्कत होने के कारण होता है. बुजुर्ग क्या करें ठंड में अचानक नहीं निकलना चाहिए. शरीर को गरम कपड़ों से अच्छी तरह ढक कर रखना चाहिए. खासकर गले, कान और सिर को ढक कर रखना चाहिए. तापमान में बदलाव होने पर भी असावधानी नहीं बरतनी चाहिए. कुछ बुजुर्गों को मॉर्निंग वाक करने की आदत होती है. उन्हें इस मौसम में सतर्क रहने की जरूरत है. मॉर्निंग वाक करने से पहले शरीर को गरम कर लेना चाहिए. इस तरह से करें बच्चों की देखभाल कई बच्चों में सोते समय कंबल या शॉल को देह पर रखने की आदत नहीं होती. कंबल, शॉल देह पर रखने पर वह बार-बार हटा देता है. ऐसे में उनकी देखभाल करना जरूरी हो जाता है. उनकी देह को बार-बार कंबल से ढकना मुश्किल हो रहा हो तो कमरे को ही गरम रखने की कोशिश करनी चाहिए. इसके लिए रूम हीटर सबसे अच्छा रहता है. सोते समय बच्चों का हाथ-पैर अच्छी तरह से ढक देना चाहिए. यहां सावधानी रखने की बात है कि उन्हें टाइट शॉक्स नहीं पहनाना चाहिए. ऊन के बने ढीले शॉक्स का प्रयोग करना चाहिए. क्या हो खान-पान इसके लिए अलग से खानपान की जरूरत नहीं होती. जानकारों की राय में जहां तक हो सके ठंडा चीज खाने से परहेज करना चाहिए. मौसमी फल, सब्जी, पनीर, दूध आदि लेना चाहिए. मांसाहारी के लिए मछली व अंडा का सेवन करना ठीक रहता है. क्या हैं घरेलू उपचार यदि सर्दी-जुकाम का उपचार उसके लक्षण नजर आते ही कर लिया जाए तो शरीर को अन्य बीमारियों की परेशानी नहीं झेलनी पड़ती. जुकाम के घरेलू उपचार :- थोड़ा अदरक, अजवाइन एक चम्मच, पांच लौंग, तीन काली मिर्च, मैथी एक चम्मच, तुलसी और दस पुदीना पत्ती का काढ़ा बना लें. आराम होने तक इसे दिन में दो बार लें.- 10 ग्राम लहसुन को एक कप दूध में उबालें. जब यह आधा कप रह जाये तो आंच बंद कर दें. इसे शाम को सोते समय या नाश्ते के पहले लें. – एक चम्मच प्याज का रस इतने ही मात्रा में शहद मिलाकर दिन में तीन बार लें. – हल्दी और सौंठ के चूर्ण का लेप बनाकर कपाल पर लगाएं. – काली मिर्च जलाकर उसका धुआं सूंघने से बंद नाक खुलती है. – अदरक का काढ़ा 20 से 30 मिलीलीटर दिन में तीन बार लेने से सर्दी में आराम मिलता है. – भिंडी का 50 मिलीलीटर काढ़ा दिन में तीन बार लेने से गले की खराश और सूखी खांसी में आराम मिलता है. – एक गिलास गरम पानी में चुटकीभर नमक, चुटकीभर खाने का सोडा मिलाकर दिन में दो बार लें. और सोते समय गरारा करने से गले की खराश में आराम मिलता है.

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