जनजातीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्द्धन पर होगा मंथन टाटा स्टील का जनजातीय सम्मेलन -संवाद 2015 आज से (हैरी 14,17)-22 नवंबर तक होगा मंथन-19 राज्यों के 40 जनजातीय समुदायों के 1,500 प्रतिनिधि भाग लेंगे, कई प्रतिनिधि पहुंचे -संवाद 2015 का थीम है- जनजातीय भाषाओं का परिरक्षण, संरक्षण और संवर्द्धन वरीय संवाददाता, जमशेदपुर टाटा स्टील के ट्राइबल कल्चरल सोसायटी की ओर से बिष्टुपुर गोपाल मैदान में जनजातीय सम्मेलन- संवाद 2015 का रविवार (15 से 22 नवंबर तक) से शुभारंभ हो रहा है. बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित हो रहे इस सम्मेलन में देश के 19 राज्यों के 40 जनजातीय समुदायों के 1500 प्रतिनिधि भाग लेंगे. सम्मेलन का उद्घाटन टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन एवं ग्रुप एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर कौशिक चटर्जी (15 नवंबर को शाम पांच बजे) करेंगे. यह जानकारी टाटा स्टील के सीएसआर के चीफ बिरेन भुटा ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में दी. इस दौरान टीसीएस की सचिव उर्मिला एक्का व टाटा स्टील काॅरपोरेट कम्यूनिकेशन के हेड अमरेश सिन्हा समेत अन्य लोग मौजूद थे. टाटा स्टील ट्राइबल कल्चरल सेंटर, सोनारी में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में श्री भुटा ने कहा कि सम्मेलन में विभिन्न सांस्कृतिक मंडलियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा देसी व जनजातीय संस्कृतियों की झलक दिखाने वाली एक फोटो गैलरी, हस्तकला प्रदर्शनी एवं जनजातीय व्यंजन आदि मुख्य आकर्षण होंगे. उन्होंने बताया कि संवाद का उद्देश्य भारतीय जनजातीय संस्कृति एवं विरासत से संबंधित पहलुओं एवं मसलों के बारे में विचार विनिमय एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक आम मंच उपलब्ध कराना है. इस सम्मेलन से अर्जित ज्ञान का दस्तावेज तैयार करने एवं संरक्षण और विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रही जनजातीय संस्कृति एवं भाषा के बारे में एक वैश्विक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद मिलेगी. पैनल डिस्कशन में भाग लेंगे कई विशेषज्ञप्रेस कांफ्रेंस में बताया गया कि इस वर्ष एक विशेष पैनल डिस्कशन आयोजित होगा जिसका विषय होगा – क्या भारत अपने जनजातीय समुदायों का साथ दे पाने में विफल रहा है. इस विशेष पैनल में वड़ोदरा के भाषा रिसर्च एंड पब्लिकेशन सेंटर के संस्थापक निदेशक पद्मश्री गणेश देवी एवं स्वामी विवेकानंद यूथ मूवमेंट के संस्थापक डॉ आर बालासुब्रह्मण्यम, प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता व ओड़िशा आदिवासी विकास समिति के संस्थापक पद्मश्री तुलसी मुंडा शामिल होंगे. झारखंड से नागालैंड तक की दिखेगी सांस्कृतिक झलक श्री भुटा ने बताया कि सम्मेलन में किंग ऑफ द नागा ब्लूज, तंगखूल नागा जनजाति के गुरु रूबेन मशांग्वा, गुजरात की सिद्धि जनजाति का शिकार नृत्य व गीत मंडली, नागालैंड की आओ व सुमि जनजातियों की योद्धा नृत्य मंडली द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगे. सम्मेलन में बहुरंगी आदिवासी संस्कृतियों की विविधतापूर्ण झलक मिलेगी. साथ ही हस्तकला प्रदर्शनी के जरिए बोडो, गुज्जर एवं जम्मू व कश्मीर की वकरवाल जनजाति एवं तमिलनाडु की टोडा जनजाति आदि की हस्तकला एवं शिल्प का प्रदर्शन भी किया जाएगा.
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जनजातीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्द्धन पर होगा मंथन
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