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प्री बोर्ड से पहले पूरा करें सिलेबस

प्री बोर्ड से पहले पूरा करें सिलेबस निकिता सिंह मार्क्स : 91.5 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल, साकची बोर्ड : आइएससी माता-पिता : मंजू सिंह-अशोक कुमार सिंह लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर आप अगर शुरू से थोड़ा-थोड़ा काम करते जाते हैं, तो अंतिम समय में किसी […]

प्री बोर्ड से पहले पूरा करें सिलेबस निकिता सिंह मार्क्स : 91.5 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल, साकची बोर्ड : आइएससी माता-पिता : मंजू सिंह-अशोक कुमार सिंह लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर आप अगर शुरू से थोड़ा-थोड़ा काम करते जाते हैं, तो अंतिम समय में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है. मेरी यही रणनीति थी. मैंने हर विषय पर शुरू से ध्यान दिया. लक्ष्य बना लिया था कि मुझे किसी भी हाल में प्री बोर्ड से पहले सिलेबस पूरा कर लेना है. मैंने रूटीन से पढ़ायी की और समय पर सिलेबस पूरा कर लिया. हर परीक्षा होती है महत्वपूर्ण जब आप बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो इसके लिए स्कूल में होने वाली हर परीक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है. हमारे स्कूल में प्री बोर्ड से पहले दो टेस्ट हुई थे. मैंने हर परीक्षा की अच्छी तैयारी की थी. इसका फायदा मुझे बोर्ड परीक्षा में मिला. पहले से सब कुछ पूरा हो जाने के कारण अंतिम समय में मेरे ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं था. इसलिए, मैं कहना चाहती हूं कि स्कूल में होने वाली हर परीक्षा बोर्ड परीक्षा में सहायक होती है. स्कोरिंग सब्जेक्ट पर रहा ध्यान मैंने रणनीति बनायी थी कि मुझे स्कोरिंग सब्जेक्ट में ध्यान देना है. बोर्ड परीक्षा में इन विषय से किसी प्रश्न को छोड़ना नहीं चाहती थी. अकाउंट्स, कॉमर्स और इकोनॉमिक्स ये तीन स्कोरिंग सब्जेक्ट होते हैं. इसका मैंने जमकर अभ्यास किया था. प्रति दिन तीन घंटे अकाउंट्स, दो घंटे कॉमर्स और दो घंटे इकोनॉमिक्स पढ़ती थी. बचे समय में अन्य विषय देखती थी. क्वेश्चन बैंक से की थी तैयारीमैंने पाठ्य पुस्तक के अलावा क्वेश्चन बैंक से तैयारी की थी. पिछले दस साल के प्रश्न में से बोर्ड परीक्षा में कोई न कोई क्वेश्चन जरूर टैली कर जाता है. क्वेश्चन बैंक हल कर लेने से बोर्ड परीक्षा को लेकर आपकी समझ बनती है. मैंने प्री बोर्ड के क्वेश्चन और स्कूल के क्वेश्चन पेपर को भी हल किया था. अंतिम समय में नोट्स पढ़ी स्कूल में टीचर हर विषय का नोट्स बनवाती थी. इससे तैयारी करने में काफी मदद मिली. मैंने खुद का नोट्स भी बना लिया था. इस तरह दो-दो नोट्स हो गये थे. नोट्स से याद करना आसान होता है. अंतिम समय में मैं खुद के नोट्स से पढ़ती थी. यह समय रीविजन का होता है. एक बार नोट्स पलट लेने से पाठ की हर बात स्पष्ट हो जाती थी. ग्रुप डिस्कशन है सहायक तैयारी के लिए ग्रुप डिस्कशन बहुत कारगर साबित होता है. हमने कुछ दाेस्तों की टोली बना ली थी. टोली में हम एक-एक टॉपिक पर बात करते थे. इसमें चीजें क्लियर हो जाती थीं. ग्रुप डिस्कशन में कम समय में अच्छी तैयारी हो जाती है. वर्तमान में मैं श्री शिक्षायतन कॉलेज, कोलकाता से बीकॉम कर रही हूं. मैं एमबीए कर अच्छी कंपनी में नौकरी करना चाहती हूं. बात पते की -स्कोरिंग सब्जेक्ट्स पर अधिक ध्यान दें-इंगलिश के लिए अलग से समय निकालें -स्कूल क्वेश्चन व प्री बोर्ड के प्रश्न भी हल करें

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