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छेड़ा तो छोड़ा नहीं… असंपादित

छेड़ा तो छोड़ा नहीं… असंपादितलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुरशक्ति का दूसरा रूप नारी है. आज के समय में ऐसा कोई भी काम नहीं जो नारी नहीं कर सकती. बेटी, बहन, पत्नी, मां यह तमाम रूप नारी के ही हैं. आज के समय में भी नारियों के साथ अत्याचार व छेड़खानी की घटनाएं आम हैं. जरूरी है कि निडरता […]

छेड़ा तो छोड़ा नहीं… असंपादितलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुरशक्ति का दूसरा रूप नारी है. आज के समय में ऐसा कोई भी काम नहीं जो नारी नहीं कर सकती. बेटी, बहन, पत्नी, मां यह तमाम रूप नारी के ही हैं. आज के समय में भी नारियों के साथ अत्याचार व छेड़खानी की घटनाएं आम हैं. जरूरी है कि निडरता के साथ उसका डटकर सामना किया जाये. लाइफ@जमशेदपुर की इस कड़ी में हम ऐसी लड़कियों की कहानी को बयां कर रहे हैं, जिन्होने ने समय पड़ने पर अपना रौद्र रुप दिखाया है. अपनी रक्षा करने के लिए अपराधियों के खिलाफ लोहा लिया है. छेड़खानी का डटकर मुकाबला किया है. पेश है उनके जीवन व उन घटनाओं को बयां करती लाइफ@जमशेदपुर की खास रिपोर्ट. नाम- नेहा पांडेय, साकची छेड़खानी को नजरअंदाज करने की बजाये दिया जवाब शहर के साकची इलाके की रहने वाली नेहा पांडेय बताती हैं कि इस साल 8 जुलाई को दिल्ली गयी थी. साथ में सामान लिये व स्टेशन पर ट्रेन का इंतेजार करते वक्त ऐसा वाक्या हुआ जिसके बारे में खुद नेहा को अंदाजा नहीं था. दो युवकों ने ठोकर मार आगे बढ़ चले, ठोकर के कारण लड़खड़ा कर मैं गिर गयी व मेरा सामान भी नीचे गिर गया. मैंने पलटकर उनसे उसी वक्त सवाल किया कि आप लोगों ने ऐसा क्यों किया. इसपर उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया. उस वक्त मैं गुस्से से आग बबूला हो उठी थी. मैंने उनको सबक सिखाने का निश्चय किया व उनको उसी वक्त मारना शुरु कर दिया. इस वाक्ये को देख अन्य व्यक्ति भी मेरे सपोर्ट में आये. फिर उन मनचलों को सबने मिलकर सबक सिखाया. मेरा यह मानना है कि लड़कियों के साथ या किसी के साथ होने वाले अत्याचार, डोमेस्टिक वायलेंस, छेड़खानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि उसका डटकर मुकाबला करना चाहिए. इसमें पेरेन्ट्स को भी साथ देना चाहिए, बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए हमेशा प्रेरित करना चाहिए. मैं अपने आत्मविश्वास के बल पर ही उन मनचलों का मुकाबला कर सकी. ————————————नाम- सुनीता सिहं, बागबेड़ालड़कियां कमजोर नहीं हैं काबिलआज के समय लड़कियां किसी से कमजोर नहीं हैं. कला से लेकर स्पोर्ट्स व हर फिल्ड में आगे हैं. जरुरी है कि लड़कियों को खुद को कमजोर समझने की बजाये बड़ी से बड़ी मुश्किल का डटकर मुकाबला करना चाहिए. सुनीता सिंह बताती हैं कि साल 2014में मैं कीताडीह इलाके में क्लास के लिए जा रही थी. रास्ते में कुछ मनचले अड्डेबाजी कर रहे थे. उस रास्ते से अन्य दूसरे लोग भी आ जा रहे थे. लेकिन जब भी कोई महिला या लड़की जाती तो वो उसपर गंदे गंदे ताना मारते. एक आंटी आगे गयी तो उन लोगों ने उनपर भी ताना मारा. वो उस बात को नजरअंदाज कर आगे बढ़ गयी. उसके बाद मैं भी जा रही थी. तो उन मनचलों ने मुझपर भी ताना मारा व बद्तमिजी की. मुझसे रहा नहीं गया. मैंने तुरंत साइकिल को साइड में लगाकर उनकी जमकर पिटायी की. इस घटना को देख आस पास के आम नागरिक भी आकर मुझे सपोर्ट करने लगे. मनचले अपनी करतूत पर शर्मिंदा होकर मुझसे माफी की गुहार लगाने लगे. मैं खुद मार्शन आर्टस को अपने जीवन में कामय किया हुआ है, वहीं गोपाल सर ने मुझमे आत्मविश्वास का बल दिया है. उसके कारण ही मैं हमेशा निडर होकर कोई भी काम करती हूं. ————————————-नाम- जयोता डे, गोलमुरीमां ने बढ़ाया आत्मविश्वास तभी गलत नहीं होता बर्दाश्त ज्योता डे बताती हैं कि बात उस समय की है जब मैं दुर्गा पूजा के दौरान अपने परिवार के संग पूजा पंडालों में दर्शन के लिए जा रही थी. उस दौरान करीब 7 लड़कों के गैंग में से एक लड़के ने छेड़ कर बढ़ गया. फिर क्या था मैंने आगे आकर लड़कों की उस भीड़ में से उस लड़के को पकड़़ लिया व जमकर सबक सिखाया. माहौल बिगड़ता देख अन्य सभी लड़के वहां से भाग खड़े हुए लेकिन एक मनचले की मैंने खूब पिटायी की. मुझे गुस्सा इतना था कि मैं उसे नजरअंदाज नहीं कर सकती थी. हम लोगों को सिर्फ अपने ही नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी आगे आना चाहिए. किसी बात को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. मुझे यह सीख मेरी मां से मिली. उनकी वजह से ही आत्मविश्वास से लबरेज हूं. बल्कि में दूसरों को भी यही सीख देती हूं कि कभी भी गलत को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. इससे अपराधियों को बल मिलता हैं. ———————————–नाम- रानी कुमारी, हरहरगुट्टू मनचलों के कमेंट पर दिया करारा जवाब… आयदिन लड़कियों के साथ घटनाएं घटती है, यदि उसे नजरअंदाज किया जाये तो ऐसे में मनचलों की हिम्मत और बढ़ती है. जरुरी है कि निडरता पूर्वक उसका सामना किया जाये. जरुरत पडने पर प्रशासन व परिवार की सहायता ली जाये. साल 2013 में घर के निकट ही ट्यूशन की क्लास करने के दौरान मैं और मेरी बहन हम दोनों की साइकिल से जा रहे थे. रास्ते में गली के चौर पर करीब 5 लड़के आपस में बैठ कर बाते कर रहे थे. सामने से गुजरने के दौरान लड़कों ने भद्दे भद्दे कमेंट कसना शुरु कर दिया. हमने यहां तक बर्दाश्त किया लेकिन उसी भीड़ में से एक ल़ड़के ने हद पार कर छेड़खानी की. फिर क्या था मुझसे रहा नहीं गया, मैंने डटकर मनचलों की पिटाई की. मेरे हौसले को देखते हुए मेरी बहन ने भी मुझे सपोर्ट किया व हम दोनों ने उन तमाम मनचलों को सबक सिखाया. इसका नतीजा यह हुआ कि उस दिन के बाद से लेकर आज तक कोई भी हमारे ऊपर कमेंट नहीं कसता. वहीं जहां पहले मनचलों की भीड़ लगा करती थी आज वैसा माहौल नहीं है. जरुरी है कि समय पड़ने पर लड़कियों को मजबूत हौसले के दम पर मनचलों को सबक सिखाना होगा. ———————————नाम- गीता देवी, न्यू बारीडीहपहले किया नजरअंदाज फिर सिखाया सबकलड़कियां किसी बात को नजरअंदाज कर रही हैं तो इसका मतलब यह कतई नहीं कि वह कमजोर हैं. यह कहना है गीता देवी का. गीता बताती हैं कि आज से कुछ सालों पहले मैं और मेरी एक दोस्त हम दोनों जा रहे थे. रास्ते पर कुछ मनचले अड्डेबाजी करते थे. व हम लोगों के साथ अन्य दूसरी लड़कियों को आते जाते देख उनपर तंज कसा करते थे. पहले तो हमने भी दूसरी लड़कियों की ही तरह नजरअंदाज किया. लेकिन वो अपनी आदतों से बाज नहीं आये. रोज रोज हमपर गंदे कमेंट कसा करते थे. फिर मुझसे रहा नहीं गया. मैंने मनचलों की खूब पिटायी की. मेरे आत्मविश्वास को देखते हुए मेरी दोस्त का हौसला भी बढ़ा हम दोनों ने खूब पिटाई की. हमारे द्वारा उठाये इस कदम के कारण ही उस स्थान पर अगले दिन से कभी भी बैठकबाजी व अड्डेबाजी नहीं हुई. हम लोगों को छेड़खाना से निजात मिल गयी. मेरा यह मानना है कि यदि हम बर्दाश्त करेंगे तो लोग इसका फायदा उठाएंगे. जरुरी है कि उसका डटकर सामना किया जाये. ताकि कोई भी लड़कियों के खिलाफ छे़ड़खानी करने से पहले 10 बार सोचे. —————————–

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