वहीं पटमदा व बोड़ाम के स्कूलों में चावल के अभाव में मध्याह्न् भोजन ही बंद होने लगा है. नक्सल प्रभावित इन क्षेत्रों के गरीब बच्चे स्कूल किस हाल में आते हैं तथा उनके भोजन की गुणवत्ता कैसी है, यह जानने वाला कोई नहीं है. बोड़ाम के प्राथमिक विद्यालय भादुडीह व उत्क्रमित मध्य विद्यालय हलुदबनी में चावल के अभाव में पिछले 28 अप्रैल से मध्याह्न् भोजन बंद है.
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चावल खत्म, कई स्कूलों में मध्याह्न् भोजन बंद
जमशेदपुर: एक ओर सरकार की ओर से बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए स्कूल चलो, चलें अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. मध्याह्न् भोजन की गुणवत्ता में सुधार की बात की जा रही है. अंडा और अन्य पोषक तत्व से भरपूर भोजन देने पर जोर दिया जा रहा है. वहीं पटमदा […]
जमशेदपुर: एक ओर सरकार की ओर से बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए स्कूल चलो, चलें अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. मध्याह्न् भोजन की गुणवत्ता में सुधार की बात की जा रही है. अंडा और अन्य पोषक तत्व से भरपूर भोजन देने पर जोर दिया जा रहा है.
जनवरी में मिला था चावल, अब उधार भी बंद : भादुडीह स्कूल के प्रधान शिक्षक गौरी शंकर षाड़ंगी ने बताया कि तीन जनवरी 2015 को चार क्विंटल चावल मिला था. स्कूल में 110 बच्चे हैं. चावल खत्म होने की सूचना देने के बाद भी अधिकारी कोई जवाब नहीं देते. कुछ दिनों तक पातिपानी स्कूल से चावल उधार लेकर मध्याह्न् भोजन को जारी रखा.
हलुदबनी स्कूल के शिक्षक दशरथ गोराई ने भी ऐसी ही समस्या बतायी. पातिपानी स्कूल में किसी तरह मध्याह्न् भोजन जारी है, पर पैसे के अभाव में अंडा बंद है.
सूखी रोटी खाने को विवश
मध्याह्न् भोजन नहीं मिल रहा इसलिए भादुडीह स्कूल के बच्चे घर से सूखी रोटी लाकर खाते हैं. स्कूल के कुछ बच्चों ने बताया कि उसके माता-पिता जमशेदपुर में मजदूरी करते हैं. सुबह किसी तरह सूखी रोटी टिफिन में भरकर देते हैं. सब्जी के अभाव में बच्चे पानी में डूबो कर या चीनी के साथ रोटी खाते हैं. फिलहाल माता- पिता के काम पर से लौटने तक बच्चे इसी तरह रहते हैं. सूखी रोटी और भर पेट पानी पीकर ये बच्चे कब तक स्कूल आयेंगे, यह कहा नहीं जा सकता.
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