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हेल्थ बुलेटिन एडवांस – डॉ. मानस कबिराज, गायनोकोलॉजिस्ट असंपादित

डॉ. मानस कबिराज, गायनोकोलॉजिस्टगर्भाशय का कैंसर पूरी तरह से इलाज संभव लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर भारत की बात की जाए तो गर्भाशय का कैंसर सबसे ज्यादा भारतीय महिलाओं को होता है. आज के दौर में इस बीमारी का पूरे तरीके से इलाज संभव है. जरुरी है कि शुरुआती लक्षणों की पहचान कर महिलाएं गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क करें. […]

डॉ. मानस कबिराज, गायनोकोलॉजिस्टगर्भाशय का कैंसर पूरी तरह से इलाज संभव लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर भारत की बात की जाए तो गर्भाशय का कैंसर सबसे ज्यादा भारतीय महिलाओं को होता है. आज के दौर में इस बीमारी का पूरे तरीके से इलाज संभव है. जरुरी है कि शुरुआती लक्षणों की पहचान कर महिलाएं गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क करें. यह बीमारी उन महिलाओं में ज्यादा देखी गयी है जो निम्न तब्के (लोअर क्लास) से संबंध रखती है. यह बीमारी कई कारणों से हो सकती है. न्यूट्रीश्न व दूसरों के साथ शारिरिक संबंध बनाने के कारण वायरस के संपर्क में आ जाने के कारण. देखा गया है कि यह बीमारी 55 से 60 साल के बाद की उम्र की महिलाओं में ज्यादा होती है. इस बीमारी के होने से देखा गया है कि मरीज के शरीर से सफेद मैला घात निकलता है, दर्द होता है, खून का रिसाव भी हो होता है. वहीं कुछ मामलों में लक्षण नहीं भी दिखायी देते. शुरुवाती अवस्था में बीमारी को पकड़ लिया जाए तो सर्जरी व सेंकाई के द्वारा इलाज किया जा सकता है. इस बीमारी से बचाव के लिए जरुरी है कि शारीरिक संबंध स्थापित करते वक्त कांडोम का इस्तेमाल किया जाए. 40 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं को रेगुलर चेकअप करवाना चागिए. बीमारी- गर्भाशय का कैंसरलक्षण- मरीज के शरीर से सफेद मैला घात निकलता है, दर्द होता है, खून का रिसाव भी हो होता है. वहीं कुछ मामलों में लक्षण नहीं भी दिखायी देते.उपाय- शारीरिक संबंध स्थापित करते वक्त कांडोम का इस्तेमाल किया जाए. 40 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं को रेगुलर चेकअप करवाना चागिए.

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