जमशेदपुर: करनडीह माझी टोला में झारखंड समन्वय समिति-2 ने डोमिसाइल नीति के निर्माण मुद्दे को लेकर झारखंड नामधारी, दलों व सामाजिक संगठनों की एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि डोमिसाइल अराजकता नहीं बल्कि संवैधानिक मामला है. संविधान के तहत दिये गये अधिकार के लिए भी आदिवासी-मूलवासी को संघर्ष करना पड़ रहा है.
हर राज्य में डोमिसाइल है. यहां भी डोमिसाइल होना चाहिए. नीति-नियम के आधार पर जो हक व अधिकार यहां के लोगों को मिलना चाहिए, उसमें भी कटौती करने का साजिश की जा रही है. यह हक मारी का मामला है. हक मारी किसी भी कीमत पर बरदाश्त नहीं किया जायेगा. झादिपा के ईश्वर सोरेन ने कहा कि डोमिसाइल का निर्धारण भाषा-संस्कृति व जातिगत सूची के आधार पर होना चाहिए. यहां गैर आदिवासी-मूलवासी भी 50 साल पहले से रह रहे हैं. उनका उद्देश्य भी कारोबार या व्यवसाय करना था. वे झारखंडी नहीं कहे जा सकते हैं.
ये थे मौजूद
विमो मुमरू, लक्ष्मण किस्कू कृतिवास मंडल, बिरसा मुमरू, ईश्वर सोरेन, मंगल अलडा, एसएस टुडू, सुबीर सोरेन, लखन मुमरू, ठाकुर टुडू, लखन बेसरा, डा सोमाय सोरेन, जगत मुमरू, रामदो मेलगांडी, अजरुन मुमरू, मोहन सोरेन, मुन्ना मुमरू, दामोदर कुरली, चंद्रशेखर मुंडा, सीताराम टुडू, राजकिशोर हांसदा, फातेह हेंब्रम, डोमान माझी, रामराय मुमरू, घासिया सरदार, भागीरथी मुमरू आदि उपस्थित थे.