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700 कंपनियों में काम बंद, बैठाये गये 30 हजार से अधिक कामगार

700 कंपनियों में काम बंद, बैठाये गये 30 हजार से अधिक कामगार आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र. ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की मार झेल रहे सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग प्रियरंजन4आदित्यपुरऑटोमोबाइल सेक्टर में आयी मंदी ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों की कमर तोड़ दी है. वर्तमान में करीब 700 छोटे व मंझोले […]

700 कंपनियों में काम बंद, बैठाये गये 30 हजार से अधिक कामगार आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र. ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी की मार झेल रहे सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग प्रियरंजन4आदित्यपुरऑटोमोबाइल सेक्टर में आयी मंदी ने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों की कमर तोड़ दी है. वर्तमान में करीब 700 छोटे व मंझोले उद्योगों में काम बंद हो गये हैं या फिर बंद होने की स्थिति में हैं. इससे 30,000 से अधिक कामगार प्रभावित हुए हैं. इन्हें तत्काल काम से बैठा दिया गया है. इस संबंध में लघु उद्योग भारती (लउभा) के जिला अध्यक्ष सह उद्यमी रूपेश कतरियार का कहना है कि उद्योग के हर क्षेत्र में मंदी आयी है. टिमकेन जैसी कंपनियां भी साल में दो बार ब्लॉक क्लोजर कर रही है, जबकि उसके उत्पाद रेलवे व अन्य बड़ी कंपनियों में जाते हैं. वर्तमान में कंपनियों की जो स्थिति बन गयी है, उसे साफ शब्दों में कहा जा सकता है कि छोटे व मंझोले उद्योगों में आर्थिक आपातकाल की स्थिति बनी है. करीब एक सप्ताह के अंदर करीब 700 कंपनियों में काम बंद हुए हैं और यही स्थिति रही तो अन्य कंपनियों में भी काम बंद हो जायेंगे.गाड़ी वाले से लेकर दुकानदार भी प्रभावित : औद्योगिक क्षेत्र में आयी मंदी का असर गाड़ी मालिकों व दुकानदारों पर भी देखने को मिल रहा है. जिस तरह ऑटोमोबाइल सेक्टर पर औद्योगिक क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां निर्भर हैं, उसी तरह औद्योगिक क्षेत्र पर गाड़ी मालिक, दुकानदार भी निर्भर हैं. मंदी का असर इनलोगों पर पड़ा है. उद्योगों पर निर्भर होटलों में लोगों की आना-जाना कम हो गया है. ठीक उसी तरह छोटे-छोटे दुकानदारों की बिक्री भी काफी कम हो गयी है.बॉक्स-1राहत पैकेज दे सरकार उद्यमियों का कहना है कि आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सरकार को गंभीर होना पड़ेगा. वर्तमान समय में गंभीर हालात के मद्देनजर केंद्र व राज्य सरकारें उद्यमियों को राहत पैकेज दें. उद्योगों को बचाने के लिए सरकार की ओर से उद्योगों के ब्याज को कम करने, टैक्स में छूट देने, लोन पैकेज देने की दिशा में तत्काल गंभीर पहल करने की जरूरत है. तभी जाकर छोटे व मंझोले उद्योग खुद को बचा पायेंगे और अपने मजदूरों व कर्मियों को जीविकोपार्जन के लिए उचित मजदूरी का भुगतान कर पायेंगे. बॉक्स-2विकल्प तलासते-तलासते हो जायेगा विलंबउद्यमियों का कहना है कि वर्षों से औद्योगिक क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां ऑटोमोबाइल सेक्टर पर ही निर्भर हैं. इसके कारण कंपनी की पूरी संरचना उसी की तरह तैयार है. यदि ऑटोमोबाइल सेक्टर से हटकर कोई और उत्पाद तैयार करना होगा, तो उसके लिए नये तरह से पूरी कंपनी को व्यवस्थित करना होगा. बड़े पैमाने पर तकनीकी बदलाव लाना होगा और जब तक नया सेटअप तैयार होगा, तब तक उद्योग पूरी तरह से बंद हो जायेंगे. वैसे कई कंपनियां रेलवे व सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने की तैयारी कर रही हैं, लेकिन उसमें समय लगेगा.बॉक्स-3ऐसी स्थिति कभी भी नहीं देखी : अभिजीतफेज तीन स्थित यूनिवर्सल वर्क्स कंपनी के मालिक अभिजीत दत्ता ने कहा कि 25-30 वर्षों में ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी थी. कंपनी का उत्पाद प्रत्यक्ष रूप से ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ा हुआ है. कंपनी में पहले दो शिफ्ट काम चलता था. अब एक शिफ्ट भी जबरदस्ती चलाया जा रहा है. ओवर टाइम पूरी तरह बंद है. उत्पादन पूरी तरह से ठप है. जो थोड़ा बहुत काम है, उसमें भी रूचि नहीं है. सरकार का सपोर्ट नहीं मिला, तो कई कंपनियां बंद हो जायेंगी.कोटब्लॉक क्लोजर से आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों की स्थिति खराब हुई है. सरकार को तत्काल कुछ निर्णय लेना चाहिए, ताकि उद्योगों को बचाया जा सके. उद्योगों के साथ-साथ यह हजारों लोगों के रोजगार से जुड़ा मुद्दा है. इंदर अग्रवाल, अध्यक्ष, एसियाउद्योगों की वर्तमान स्थिति जिस तरह की बन गयी है, उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उद्योगों को होमियोपैथी इलाज की नहीं, एलोपैथी इलाज की जरूरत है. इसलिए इस मामले को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए.रूपेश कतरियार, अध्यक्ष लघु उद्योग भारतीटाटा मोटर्स के ब्लॉक क्लोजर का असर आदित्यपुर के उद्योगों पर पड़ा है. अधिकांश में अस्थायी कामगारों को काम से बैठा दिया गया है. स्थायी कामगार आ रहे हैं, लेकिन काम नहीं होने के कारण बैठकर चले जा रहे हैं.संतोष खेतान, पूर्व महासचिव, एसिया\\\\B

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