जमशेदपुर : टाटा स्टील के कारपोरेट कम्यूनिकेशन के पूर्व चीफ चारुदत्ता देशपांडे की मौत के मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिये गये हैं. महाराष्ट्र सरकार ने चारुदत्ता देशपांडे की आत्महत्या के मामले में शुक्रवार को इस मामले को सीबीआइ जांच के लिए पत्र भेजा.
राज्य के गृह मंत्री आरआर पाटिल ने गुरुवार को मृतक के परिजनों और मुंबई प्रेस क्लब के आग्रह और लगातार दबाव के बाद यह फैसला लिया. पूर्व पत्रकार और टाटा स्टील के कारपोरेट अफेयर्स एंड कम्यूनिकेशन के पूर्व चीफ चारुदत्ता देशपांडे (57) का शव 28 जून 2013 को उनके महाराष्ट्र के वसई स्थित आवास से फांसी पर लटका हुआ बरामद किया गया था. इसके बाद इस मामले की पहले मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने की. इसकी जांच में जब कुछ नहीं हुआ तो पूरे मामले की जांच वसई थाने की पुलिस को दे दी गयी. डीसीपी रैंक के अधिकारी ने इस मामले की जांच की.
अब तक खुलासा नहीं
लगातार हुई जांच के बावजूद किसी तरह का कोई खुलासा नहीं हुआ, जिसके बाद स्वर्गीय देशपांडे के पुत्र गौरव और दामाद महेश भटकल ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री आरआर पाटिल को एक पत्र लिखा. इस पत्र में गृह मंत्री से स्वतंत्र एजेंसी से पूरे मामले कीजांच करने का आग्रह किया गया. स्वर्गीय शेष पेज 19 पर
देशपांडेय के परिवार ने आरोप लगाया था कि थाने की ग्रामीण पुलिस की ओर से बेहतर तरीके से जांच नहीं की. इस मामले में उनके मातहत अधिकारी रहे प्रभात शर्मा को आरोपी बनाया गया था और उनको ही मुख्य आरोपी बनाया गया था. लेकिन अब तक उनके खिलाफ किसी तरह का साक्ष्य नहीं मिल पाया. दूसरी ओर, मुंबई प्रेस क्लब ने जो पत्र लिखा है, उसमें मानसिक रोग विशेषज्ञ हरीश शेट्टी की रिपोर्ट भी पेश की गयी है, जिसमें यह कहा गया है कि वे किसी तरह के डिप्रेशन (दुख या तकलीफ) में नहीं थे बल्कि लगातार परेशान करने और मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने के कारण उन्होंने खुद मौत को गले लगा लिया है.