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जमशेदपुर : महंत भीमानंद की समाधि तोड़ी, पार्थिव शरीर ले गये लोग
जमशेदपुर : दलमा मंदिर के मुख्य महंत रहे बाल ब्रह्मचारी स्वामी भीमानंद सरस्वती की समाधि काे शनिवार देर शाम सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लाेगाें ने क्षतिग्रस्त कर दिया. उनके पार्थिव शरीर को निकालकर कहीं ले गये. समाधि से पार्थिव शरीर निकालने का विरोध करने पर महंत केदारनाथ सरस्वती आैर महंत शिवचरण सरस्वती के साथ […]
जमशेदपुर : दलमा मंदिर के मुख्य महंत रहे बाल ब्रह्मचारी स्वामी भीमानंद सरस्वती की समाधि काे शनिवार देर शाम सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लाेगाें ने क्षतिग्रस्त कर दिया. उनके पार्थिव शरीर को निकालकर कहीं ले गये. समाधि से पार्थिव शरीर निकालने का विरोध करने पर महंत केदारनाथ सरस्वती आैर महंत शिवचरण सरस्वती के साथ मारपीट भी की.
घटना के बाद दाेनाें महंत दलमा मंदिर से अपने गांव घुमांडी चले गये हैं. मंदिर परिसर में सिर्फ आटा बाबा आैर एक विक्षिप्त सहयाेगी रह गये हैं. घटना के संबंध में महंत बुद्धानंद सरस्वती उर्फ महताे बाबा ने बताया : मैं शनिवार काे दिन के वक्त दलमा मंदिर से पारडीह स्थित काली मंदिर आ गया था. महंत भीमानंद सरस्वती की समाधि की पूजा के लिए जरूरी सामान लेकर जब रविवार काे मंदिर परिसर में पहुंचा, ताे वहां माैजूद कुछ लाेगाें से घटना की विस्तृत जानकारी दी.
लोगों ने बताया कि शनिवार की रात करीब नाै बजे दो-तीन सौ लोग दाे ट्रैक्टर व अन्य वाहनों पर सवार होकर तथा कुछ पैदल भी आये थे, जो पार्थिव शरीर को उठाकर ले गये. घटना की जानकारी के बाद महतो बाबा पूजन के लिए जाे सामान लेकर गये थे, उसे वहीं छाेड़कर वापस नीचे काली मंदिर पहुंचे अाैर मंदिर से जुड़े लोगों को जानकारी दी. पार्थिव शरीर किस अवस्था में हैं, इसके बारे में गांव के आसपास पता लगाया जा रहा है.
घटना के संबंध में बाेड़ाम थाना प्रभारी माेहम्मद तंजील खान ने बताया कि भीम बाबा के पार्थिव शरीर काे समाधि से अज्ञात लाेगाें द्वारा निकाले जाने की जानकारी मिली है. लेकिन वे लोग कौन थे और पार्थिव शरीर को कहां ले गये, इस बारे में अभी जानकारी हासिल की जा रही है. दूसरी ओर, घटना के विराेध में साेमवार काे शीतला मंदिर में मंदिर समर्थकाें की एक बैठक बुलायी गयी है.
इसमें आगे की रणनीति तय की जायेगी. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार काे सुबह साढ़े आठ बजे महंत भीमानंद सरस्वती का इलाज के दाैरान निधन हाे गया था. इसके बाद दलमा मंदिर परिसर के पास उनके पार्थिव शरीर काे समाधि प्रदान की गयी थी. महंत भीमानंद सरस्वती के शिष्याें ने बारिश के माैसम के बाद वहां समाधि काे बेहतर रूप देने की याेजना बनायी थी.
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