-सरकारी कार्यालयों में गंदगी का अंबार पर पंचायतों में स्वच्छता का ढिंढोरा
सोनु पांडेय, टाटीझरिया
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन का नजारा टाटीझरिया में फेल होता नजर आ रहा है. सरकार स्वच्छता अभियान चलाकर घर-घर शौचालय बनाकर प्रखंड को खुले में शौच से मुक्त बनाने में जुटी है. मगर टाटीझरिया प्रखंड में इसका उल्टा नजारा है. ग्रामीणों ने कहा कि जिस प्रखंड मुख्यालय से प्रखंडकर्मी गांव को स्वच्छ बनाने की सलाह देते हैं. वही प्रखंड मुख्यालय का शौचालय इतना गंदा है कि शौचालय जाने के पहले ही लोगों को गंदगी देख जी मिचलाने लगेगा.
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एक तरफ जहां प्रशासन हर घर में शौचालय का निर्माण कराकर उसे उपयोग करवाने में जुटी है. इसके लिए प्रखंड के सभी 8 पंचायतों में जागरुकता कार्यक्रम युद्धस्तर पर चलाया जाता रहा है. वहीं टाटीझरिया प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में निर्मित शौचालय उपयोग के लायक नहीं है, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है.
जहां से प्रखंड की सारी विकास योजनाएं संचालित होती हैं. सभी गांवों से ग्रामीण प्रखंड मुख्यालय पहुंचते हैं. बावजूद वहां शौचालय का उपयोग के लायक नहीं रहना कई सवाल खड़े करता है. इससे लोगों को काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. प्रखंड मुख्यालय का शौचालय इतना गंदा है कि लोगों को शौच जाने से पहले उल्टी आने लगती है. जबकि इसी भवन के बगल से पदाधिकारी द्वारा स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जाता है. इसकी साफ-सफाई पर भी पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है.
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पेयजल की भी समस्या
प्रखंड परिसर में पेयजल की भी समस्या गंभीर है. कहने को तो प्रखंड के अंदर सार्वजनिक चापानल है, लेकिन चापानल से निकलने वाला पानी खारा है. जो पीने लायक नहीं है. जिससे प्रखंड आने वाले लोगों को आये दिन पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है.