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सुविधा मिले तो और सैनिक बनेंगे

विवशता. उरू गांव के ग्रामीणों ने सुनायी आपबीती, कहा चैनपुर प्रखंड के उरू गांव में 26 परिवार रहते हैं. इसमें 10 लोग सेना में हैं. दो लोग रिटायर होकर गांव में खेतीबारी कर रहे हैं. दुर्जय पासवान गुमला : सैनिकों की उर्वरा भूमि है उरू गांव. शहीद नायमन कुजूर इसी गांव का सपूत था. गांव […]

विवशता. उरू गांव के ग्रामीणों ने सुनायी आपबीती, कहा
चैनपुर प्रखंड के उरू गांव में 26 परिवार रहते हैं. इसमें 10 लोग सेना में हैं. दो लोग रिटायर होकर गांव में खेतीबारी कर रहे हैं.
दुर्जय पासवान
गुमला : सैनिकों की उर्वरा भूमि है उरू गांव. शहीद नायमन कुजूर इसी गांव का सपूत था. गांव में 10 सैनिक हैं. गुमला जिला का यह पहला गांव है, जहां 26 परिवार रहते हैं. इन 26 परिवारों में 10 लोग सैनिक हैं. इसमें दो लोग रिटायर कर गये हैं. इनमें मंगरा मुंडा व इरमियस लकड़ा हैं, जो अभी खेतीबारी कर रहे हैं. एक सैनिक चोन्हास के रिटायर होने के बाद निधन हो गया. चैनपुर प्रखंड से 30 किमी दूर स्थित उरू गांव अचानक सुर्खियों में आया है. इसका कारण शहीद नायमन कुजूर हैं.
पहले इस गांव की पहचान पिछड़ापन व नक्सल इलाका के रूप में होती थी. अब शहीद नायमन के गांव से इसे जाना जाने लगा है. पर उरू गांव की मिट्टी में जन्मे सैनिकों की सुने, तो उन्हें अपनी गांव की दुर्दशा पर तकलीफ होती है. भूतपूर्व सैनिक मंगरा मुंडा हैं. अब वृद्ध हो चले हैं
उन्हें अपने गांव के विकास की चिंता है. प्रभात खबर से मंगरा ने कहा कि हम देश की रक्षा के लिए हर समय जान की बाजी लगाये रहते हैं. हमारा गांव सरकार की उदासीनता का दंश झेल रहा है. शहीद नायमन के कारण आज उरू गांव को पूरा देश जान रहा है. इस गांव की दुर्दशा से आज भी सरकार को जानकारी नहीं है. उरू से 10 सैनिक पैदा हुए. कुछ रिटायर कर गये हैं. कुछ अभी भी देश की रक्षा में लगे हैं. श्री मुंडा ने कहा कि हमने पर्यटन मंत्री अमर बाउरी से गांव के विकास की मांग की है.
सुविधा मिले, तो और लोग सेना में जायेंगे : गांव के लोगों ने कहा कि अगर गांव में सुविधा मिले, शहर आने- जाने के लिए सड़क बने आैर गांव तक गाड़ी पहुंचे, तो इस गांव से और सैनिक बनेंगे. अभी भी कई युवा सेना में जाने को तैयार हैं.
शहीद के घर को पक्का करने की मांग
शहीद नायमन की बहन हीरामुनी देवी ने राज्य सरकार से शहीद के गांव में पक्का मकान बनवाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि भाई ने देश की रक्षा में जान दी है, लेकिन आज उसका परिवार खपड़े के घर में रह रहा है. घर में शौचालय नहीं है. गांव के अन्य लोगों के घर में भी शौचालय की सुविधा नहीं है. उन्होंने सभी घरों में शौचालय बनवाने व गांव की खराब सड़क को बनाने की मांग की.
गांव में जन्मे सैनिकों के नाम
मंगरा मुंडा व इरमियस लकड़ा रिटायर सैनिक हैं. चोन्हास का निधन हो गया है. जगदीश कुजूर, नेम्हस कुजूर, सामुवेल मुंडा, भवनाथ मुंडा, गाब्रियल टोपनो झारखंड पुलिस व सेना में हैं. नायमन कुजूर आतंकी हमले में शहीद हुआ है.
मैंने गांव की सड़क का हाल देखा है. बहुत ही खराब है. गांव भी काफी पिछड़ा हुआ है. मैंने डीसी व चैनपुर ब्लॉक के बीडीओ को गांव में विकास का काम करने के लिए कहा है.
अमर बाउरी, पर्यटन मंत्री

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