गुमला : गुमला में जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर जमीन बेच दी गयी. इस संबंध में वैभव प्रसाद ने अपने को जिंदा बताते हुए गुमला थाना में दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है. आवेदन दिये हुए एक सप्ताह होने को है, लेकिन गुमला सदर थाना की पुलिस ने केस दर्ज नहीं की है. इस संबंध में विधि प्रकोष्ठ गुमला के जिलाध्यक्ष सह अधिवक्ता अरुण कुमार ने पुलिस की इस कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है. श्री कुमार ने कहा है कि गुमला सदर के थाना प्रभारी बतायें कि वे किसके कहने पर प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रहे हैं या फिर उन्हें केस करने से रोकने का कहीं से कोई दबाव है.
पुलिस के रवैया को देखते हुए लगता है कि मजबूरन गुमला सदर थाना की पुलिस के खिलाफ मुख्यमंत्री जनसंवाद में शिकायत करनी पड़ेगी. क्योंकि जितना बड़ा मामला है, इसमें तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए थी. परंतु पुलिस एक सप्ताह से आवेदन को थाना में रखे हुए है. श्री कुमार ने कहा कि इसमें निश्चित रूप से जमीन बेचने व खरीदने वालों से कोई सांठगांठ हुई है. इस कारण अभी तक केस दर्ज कर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. उल्लेखनीय है कि दाखिल खारिज में फर्जीवाड़ा करके वैभव प्रसाद के जिंदा रहते उसे मृत घोषित कर उसके चचेरे भाई गौरव प्रसाद ने जमीन बेच दी है.
आरोप है कि इसमें अंचल कर्मियों की भी संलिप्तता है. जमीन खरीदने वाले माधवी देवी व विशेश्वर साहू को भी इस केस में आरोपी बनाया गया है. गुमला शहर के जशपुर रोड स्थित 54 डिसमिल जमीन को करौंदी निवासी कंचन देवी पति विशेश्वर साहू के नाम दाखिल खारिज कर दिया है. एक करोड़ रुपये से अधिक में जमीन की खरीद-बिक्री हुई है. वैभव प्रसाद जिन्हें मृत घोषित किया गया है, वह दरअसल मुंबई में रहता है, लेकिन उसका पुस्तैनी घर जशपुर रोड में है. जब वैभव को पता चला कि उसे मृत घोषित कर उसकी जमीन को बेच दी गयी है, तो वह गुमला आकर खुद थाना में केस दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है. इसके बाद भी पुलिस केस दर्ज नहीं की है.