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पेड़ पर चढ़ ढूंढ रहे हैं मोबाइल नेटवर्क
जवानों ने सुनायी अपबीती. कहा : बड़ी मुश्किल में रह रहे हैं. कुरूमगढ़ से लौट कर दुर्जय पासवान चैनपुर प्रखंड के नक्सल इलाका कुरूमगढ़ जो जंगल व पहाड़ों से घिरा है. इस कुरूमगढ़ में नक्सलियों के खात्मे के लिए तैनात सीआरपीएफ के जवान 15 दिनों से परिवार से बात नहीं होने से परेशान हैं. मोबाइल […]
जवानों ने सुनायी अपबीती. कहा : बड़ी मुश्किल में रह रहे हैं.
कुरूमगढ़ से लौट कर
दुर्जय पासवान
चैनपुर प्रखंड के नक्सल इलाका कुरूमगढ़ जो जंगल व पहाड़ों से घिरा है. इस कुरूमगढ़ में नक्सलियों के खात्मे के लिए तैनात सीआरपीएफ के जवान 15 दिनों से परिवार से बात नहीं होने से परेशान हैं. मोबाइल नेटवर्क इस क्षेत्र में कहीं-कहीं पकड़ता है. लेकिन इधर, 15 दिनों से नेटवर्क नहीं पकड़ आ रहा है. सीआरपीएफ के जवान पेड़ पर चढ़ कर मोबाइल नेटवर्क खोज रहे हैं, लेकिन पेड़ पर भी नेटवर्क नहीं मिल रहा है. इससे जवान परेशान व हताश हो गये हैं.
बुधवार को जब गुमला उपायुक्त श्रवण साय व एसडीपीओ भूपेंद्र प्रसाद राउत सीआरपीएफ कैंप पहुंचे, तो जवानों ने समस्या उठायी. अपने दिल की बात अधिकारियों के पास रखा. जवानों ने खुल कर कहा. हम यहां बड़ी मुश्किल में रह रहे हैं.
न मोबाइल नेटवर्क है न ही इस क्षेत्र में दो महीने से बिजली है. अगर कभी कभार बिजली आ भी जाती है, तो चंद पलों में ही दर्शन देकर गुम हो जाती है. अभी पीने का पानी मिल रहा है, लेकिन गरमी आते ही जल संकट गहरा जाता है. समस्या सुन डीसी ने कहा : बीएसएनएल टावर लगाने के लिए मैंने पत्रचार किया है. अभी डहुडड़गांव में जियो कंपनी का मोबाइल टावर लग रहा है. फरवरी माह तक जियो का मोबाइल नेटवर्क चालू कराने का प्रयास किया जायेगा. डीसी ने प्लास्टिक घेरे के बीच जवानों को रहता देख चिंता प्रकट की. जवानों ने रात को छत से पानी टपकने की जानकारी दी.
नेटवर्क मिले तो सटीक सूचना मिलेगी
कुरूमगढ़ नक्सल इलाका है. यह चैनपुर प्रखंड से 25 किमी दूरी पर है. चारों ओर जंगल व पहाड़ से घिरा है. कुरूमगढ़ में सीआरपीएफ कैंप है. थाना की भी स्थापना हुई है. जवानों ने कहा : हम पूरी हिम्मत के साथ यहां ड्यूटी कर रहे हैं. नक्सलियों को सिर उठाने नहीं दे रहे हैं.
लेकिन यहां जो समस्या है, उससे हम परेशान हैं. जवानों ने कहा कि मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने के कारण इस क्षेत्र में सूचनाओं का आदान -प्रदान सही ढंग से नहीं हो पा रहा है. इस कारण अभी इस क्षेत्र में 50 से 55 नक्सली घूमते हैं. सभी सीआरपीएफ कैंप से पांच से छह किमी की दूरी पर घने जंगलों के बीच रहते हैं. लोकेशन नहीं मिलने के कारण नक्सली बच रहे हैं. अगर मोबाइल नेटवर्क रहता तो सटीक सूचना पर कार्रवाई कर सकते हैं.
सड़क के कारण नक्सल अभियान में दिक्कत
कुरूमगढ़ इलाके की सड़क खराब है. कहीं गड्ढा है, तो कहीं सड़क पर नुकीले पत्थर निकले हुए हैं.इस कारण पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में दिक्कत आ रही है. जवानों को हर समय डर बना रहता है कि सड़क पर नक्सलियों ने कहीं एंटी लैंड माइंस तो नहीं बिछा दिया है. सड़क पर बम बिछाने के डर से पुलिस संभल कर इस क्षेत्र में घूमती है. जवानों का कहना है कि अगर सड़क बन जाये, तो नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में आसानी होगी.
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