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वन अधिकारी दबाते हैं मामला

वन अधिकार अधिनियम मामलों को दबा कर रखने पर उपायुक्त ने चिंता प्रकट की. बिशुनपुर, डुमरी, जारी व बसिया प्रखंड का विकास कार्यों के लिए चयन. गुमला : यूएनडीपी के तत्वावधान में वन अधिकार अधिनियम विषय पर गुरुवार को विकास भवन सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता उपायुक्त श्रवण साय ने की. […]

वन अधिकार अधिनियम मामलों को दबा कर रखने पर उपायुक्त ने चिंता प्रकट की.
बिशुनपुर, डुमरी, जारी व बसिया प्रखंड का विकास कार्यों के लिए चयन.
गुमला : यूएनडीपी के तत्वावधान में वन अधिकार अधिनियम विषय पर गुरुवार को विकास भवन सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता उपायुक्त श्रवण साय ने की.
कार्यशाला में वन संसाधनों का सदुपयोग करने, वन अधिकार अधिनियम समिति का गठन कर ग्राम सभा कराने, अवैध कब्जा की गयी जमीन पर जांच कर उचित कार्रवाई करने एवं वन अधिकृत जमीन का एमआइएस इंट्री कराने संबंधी विषयों पर चर्चा की गयी. गुमला में वन अधिकार अधिनियम के तहत विकास करने के लिए जिले के चार प्रखंड बिशुनपुर, डुमरी, जारी व बसिया प्रखंड का चयन किया गया है.
इस पर भी चर्चा की गयी. वहीं उपायुक्त श्री साय ने वन प्रमंडल द्वारा वन अधिकार अधिनियम से संबंधित मामलों को लंबित रखने के मामले में चिंता प्रकट की. उन्होंने कहा कि वन अधिकारी मामलों को दबा कर रखते हैं. इसमें वे ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. अंचल पदाधिकारी द्वारा दिया गया प्रतिवेदन वन प्रमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में पड़ा रहता है.
वन पदाधिकारियों व अंचलाधिकारियों को मामलों का समय पर निष्पादन करने का निर्देश दिया. उपायुक्त ने कहा कि वन अधिकारी व सभी अंचलाधिकारी समन्वय बना कर काम करें और वन अधिकार अधिनियम से संबंधित प्रतिवेदन का एमआइएस इंट्री करें. विकास कार्यों के लिए चयनित बिशुनपुर, डुमरी, जारी व बसिया प्रखंड का ग्राम स्तर पर जांच कर रिकॉर्ड रखें.
वनोत्पाद की तस्करी पर रोक लगायें : अरुणा
यूएनडीपी टेक्नीशियन अरुणा ने वन अधिकार अधिनियम से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वनोत्पाद का सदुपयोग सही से नहीं हो पा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. वनोत्पाद की तस्करी भी हो रही है.
इस पर भी रोक लगाने की जरूरत है. कार्यशाला में अपर समाहर्ता आलोक शिकारी कच्छप, वन प्रमंडल पदाधिकारी, जिला कल्याण पदाधिकारी, वन पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी, वन अधिकार अधिनियम से जुड़े कर्मी, मुखिया, स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष, सचिव सहित विभिन्न प्रखंडों के प्रमुख शामिल थे.

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