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गोड्डा : डकैता मौजा के रैयत ने किया विरोध, काम निकालने में इसीएल आगे, रैयतों की चिंता नहीं

इसीएल पदाधिकारी के नियम की बात पर रोष व्यक्त कर रैयत की ओर से कहा गया कि इसी मौजा के अन्य जमाबंदी पर उनकी जमीन है. पांच बीघा जमीन कंपनी की ओर से अधिग्रहण किया जाये तथा उन्हें दो लोगों को नौकरी देने का काम किया जाये.

गोड्डा : राजमहल कोल परियोजना इसीएल के डकैता मौजा में पुनर्वास का काम स्थानीय रैयतों ने रोक दिया है. रैयतों की मांग कार्य आरंभ करने से पहले तय नियमानुसार दो लोगों को पहले नौकरी दिये जाने पर अडिग है. डकैता मौजा के पुनर्वास स्थल पर पास के बसडीहा के ग्रामीणों को पुनर्वास किया जाना है. परियोजना प्रबंधन पुनर्वास को लेकर जमाबंदी नंबर 23 व 10 में मिट्टी भरे जाने का काम आरंभ किये जाने के साथ ही ग्रामीणों के आक्रोश व विरोध का सामना करना पडा. जमाबंदी रैयत बबलू किस्कू व विजय किस्कू की ओर से लगातार विरोध कर परियोजना के कार्य को प्रभवित करने का काम किया. रविवार को महागामा अनुमंडल कार्यालय से प्रतिनियुक्ति दंडाधिकारी आनंद मरांडी एवं राहुल रक्षित की ओर से पुनर्वास स्थल पर कार्य शुरू करने के लिए पहुंचना था. इस दौरान अनुमंडल कर्मी को देखते ही रैयतों ने जोरदार विरोध किया. रैयतों का कहना था कि परियोजना को उनके द्वारा जमीन दिया गया है. जमीन के बदले उन्हें दो लोगों को नौकरी दिया जाना चाहिये. दंडाधिकारी एवं परियोजना प्रबंधन के समक्ष दो लोगों को इसीएल में नौकरी की मांग कर कहा कि परियोजना केवल रैयतों की जमीन लेकर अपाना काम निकालना जानती है. उन्हें लोगों की मांग व समस्या से मतलब नहीं है. परियोजना पदाधिकारी बताया कि जमाबंदी नंबर 23 एवं 10 में रैयत का 7 बीघा 5 धूर जमीन अधिग्रहण किया गया है. दो लोगों को नौकरी के लिए नियमानुसार 12 बीघा जमीन देना आवश्यक है. रैयत की जमीन कम रहने की वजह से दो लोगों को लाभ नहीं दिया जा सकता है. पदाधिकारी का कहना था कि केवल एक लोगों को नौकरी तथा शेष जमीन के लिये मुआवजा दिया जायेगा.


रैयत ने की मांग-दूसरी जमाबंदी का अधिग्रहण कर दें लाभ

इसीएल पदाधिकारी के नियम की बात पर रोष व्यक्त कर रैयत की ओर से कहा गया कि इसी मौजा के अन्य जमाबंदी पर उनकी जमीन है. पांच बीघा जमीन कंपनी की ओर से अधिग्रहण किया जाये तथा उन्हें दो लोगों को नौकरी देने का काम किया जाये. मगर प्रबंधन की ओर से जमीन अधिग्रहण के लिए नोटिफिकेशन की बात कही गयी है. कहा कि नोटिफिकेशन से बाहर प्रबंधन जमीन अधिग्रहण नहीं कर पायेगी. मालूम हो कि इसीएल की ओर से बसडीहा के ग्रामीणों को पुनर्वास हेतु तीन वर्षों से कोशिश की जा रही है. अभी तक ग्रामीणों का पुनर्वास नहीं किया जा सका है. गांव के चारों तरफ कोयला उत्खनन का कार्य किया जा रहा है. दंडाधिकारी के समक्ष रैयतों ने परियोजना प्रबंधन के मिट्टी भराई का कार्य करने नहीं दिया गया. रैयतों ने जोर देकर कहा कि प्रबंधन पहले दो लोगों को नौकरी दे, फिर आगे का काम करे. वर्ना किसी भी तरह का काम नहीं करने दिया जायेगा.

क्या कहना है अधिकारी का

ईसीएल के महाप्रबंधक एएन नायक ने कहा कि ‘जमाबंदी नंबर 23 एवं 10 में लगभग 7 बीघा जमीन प्रबंधन द्वारा अधिग्रहण किया गया है. नियमानुसार ट्रिब्यूनल कोर्ट में 58 लाख रुपया जमा कर दिया गया है. दो बार मजिस्ट्रेट की उपस्थिति के बावजूद मिट्टी भरने का काम होने नहीं दिया जा रहा है. रैयत की मांग नियम संगत नहीं है. जिला प्रशासन के सहयोग लेकर समस्या का समाधान के लिए पूरी कोशिश की जाएगी.

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