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स्कूल जाने में कंजूसी करते शिक्षक
गोड्डा/ सुंदरपहाड़ी : एक तरफ सरकार स्कूलों में बच्चों के ठहराव व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के नाम पर लाखों, करोड़ों खर्च कर रही है. वहीं आज भी कई एेसे विद्यालय हैं जहां राशि खर्च करने के बावजूद बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. उदाहरण के लिये जिले के सुंदरपहाड़ी प्रखंड क्षेत्र के […]
गोड्डा/ सुंदरपहाड़ी : एक तरफ सरकार स्कूलों में बच्चों के ठहराव व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के नाम पर लाखों, करोड़ों खर्च कर रही है. वहीं आज भी कई एेसे विद्यालय हैं जहां राशि खर्च करने के बावजूद बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है. उदाहरण के लिये जिले के सुंदरपहाड़ी प्रखंड क्षेत्र के स्कूल हैं.
जहां शिक्षा व्यवस्था का कोई मतलब ही नहीं रह गया है. प्रखंड के कई स्कूलों में शिक्षकों के मनमर्जी से स्कूल संचालित हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि कई स्कूलों में माह में एक-दो बार हीं शिक्षक विद्यालय पहुंचते हैं. खास तौर पर पहाड़िया स्कूलों की स्थिति सबसे बदतर है. आदिवासी स्कूलों में पठन-पाठन नियमित तौर पर नहीं होता है. करमाटांड़ पंचायत के ग्राम प्रधान ब्रह्मदेव पहाड़िया, सूरजी पहाड़िन, बड़ा चांदू पहाड़िया ने बताया कि गुब्बारो सोन पहाड़ स्थित विद्यालय अब तक भवन विहीन है. विद्यालय में शिक्षक रोज नहीं आते हैं. यदि आते हैं तो सिर्फ घूम-फिर कर चले जाते हैं. बच्चे स्कूल जाकर खेल कर लौट आते हैं.
वहीं बड़ा सिंदरी पंचायत के मदनी प्राथमिक विद्यालय को अपना भवन नहीं है. स्कूल में सरकारी शिक्षक पदस्थापित हैं. ग्रामीण बैदा पहाड़िया, मैसा पहाड़िया, जबरा पहाड़िया, नारा पहाड़िया ने कहा कि स्कूल में कौन-कौन से शिक्षक हैं. एक वर्ष से देखा भी नहीं है. बच्चों को किताबें, छात्रवृत्ति, पोशाक आदि का लाभ नहीं मिल रहा है.
ग्रामीणों ने बताया कि बड़ा सिंदरी पंचायत के हीं डांडो गांव के विद्यालय में भी शिक्षक नहीं पहुंचते हैं. ग्रामीण देवा पहाड़िया, डोहरा पहाड़िया, जोमे पहाड़िया, चांदू पहाड़िया, बामना पहाड़िया ने बताया कि इस विद्यालय के शिक्षक वर्ष में दो बार 15 अगस्त व 26 जनवरी को झंडोत्तोलन करने के लिये ही सिर्फ विद्यालय आते हैं. कैरासोल पंचायत के सेना गांव के प्राथमिक विद्यालय में बच्चे नंग-धड़ंग अवस्था में खेल रहे थे. यहां ग्रामीण रांगो पहाड़िया, देवा पहाड़िया, बेदा पहाड़िया, जालिया पहाड़िन, वैदी पहाड़िन, डोमनी पहाड़िन, रामी पहाड़िन ने बताया कि एक वर्ष से विद्यालय में शिक्षक नहीं आये हैं. बच्चों को पोशाक मिलना तो दूर की बात है पोषाहार तक नहीं मिल रहा है.
बड़ा सिंदरी पंचायत के साबेकुंडी टू विद्यालय भवन की शोभा ताला बढ़ा रहा है. जबकि इसी पंचायत के प्राथमिक विद्यालय साहसी को देखने मात्र से ही प्रतित हो जाता है कि कई वर्षों से स्कूल खुला हीं नहीं है. स्कूल के बरामदे पर पशु व लकड़ी रखा जाता है.
विद्यालय में हो रही मनमानी का मामला उजागर होने पर जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति कर दी जाती है. इस कारण भी स्कूलों की व्यवस्था चौपट हो गयी है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
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