चांदन केनाल से गोड्डा में पानी छोड़ने का मामला
चांदन केनाल का पानी छोड़ने का मामला करीब 44 वर्षों से है लंबित
100.5 किमी केनाल के सर्वाधिक 69.5 किमी हिस्सा पड़ता है झारखंड में
सांसद निशिकांत दुबे ने दायर की है जनहित याचिका
रांची/गोड्डा : झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को गोड्डा में चांदन नदी पर बननेवाले चांदन डैम के निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए डैम के विवाद पर केंद्र सरकार, बिहार सरकार व झारखंड सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने झारखंड सरकार से पूछा कि उसने बिहार सरकार को कितनी बार आैर कब-कब पत्र लिखा है.
पूरा ब्याैरा प्रस्तुत करने को कहा. वहीं बिहार सरकार को झारखंड के पत्र के आलोक में की गयी कार्रवाई की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया. केंद्र सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि दो राज्यों के इस विवाद को किस तरीके से सुलझाया जायेगा. खंडपीठ ने शपथ पत्र के माध्यम से सभी पक्षों को एक फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व राज्य सरकार
झारखंड ने बिहार को…
की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि इस मामले में बिहार सरकार को कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन बिहार सरकार द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि सांसद निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि चंदन डैम के निर्माण मामले में झारखंड व बिहार के बीच लंबे समय से विवाद कायम है. डैम का निर्माण कार्य लंबित है. झारखंड के किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
चांदन बियर से गोड्डा में 69.5 किमी तक पहुंचना है पानी
बिहार के बांका जिले के चांदन बियर से बिहार एवं झारखंड के गोड्डा जिले को केनाल के माध्यम से पानी छोड़ा जाना है. 1972-73 के वर्ष में इस केनाल के माध्यम से करीब 100.5 किमी केनाल में पानी को छोड़ा जाना था. झारखंड का सर्वाधिक हिस्सा 69.5 किमी व बिहार का 31 किमी शामिल है. करीब 10 हजार एकड़ से भी ज्यादा जमीन को सिंचाई की सुविधा को लेकर सरकार की ओर से योजना की स्वीकृति दी गयी थी. वर्ष 2000 तक सम्मिलित बिहार से अब तक 44 वर्षों के दौरान कार्रवाई नहीं हो पायी. चांदन से गोड्डा तक नहर भी बन गया, मगर अब तक एक बूंद पानी नहीं छोड़ा गया है. रबी फसल के समय केनाल में एक बूंद पानी नहीं रहता है, बरसात के दिनों में ही केनाल में पानी रहने का जिक्र किया है.
जुड़ जायेगी नदी से नदी
चांदन केनाल का पानी सीधे गेरूआ के माध्यम से त्रिवेणी बियर में तथा चीर नदी के माध्यम से गोड्डा के जमनी गांव के कझिया नदी से जुड़ जायेगा व कझिया का पानी हरना बियर से जुड़ कर सिंचाई का एक बड़ा सर्किल जिले के किसानों के लिये तैयार हो जायेगा. केवल सिंचाई ही नहीं बल्कि क्षेत्र के लोगों के पेयजल की समस्या का भी समाधान हो जायेगा.
दो माह के बाद सूख जाती है सभी नदियां
गोड्डा की सभी नदी बरसाती नदी है. बरसात के दो माह को छोड़कर सालों भर नदी में हाथ पोछने लायक भी पानी नहीं रहता है. किसान सिंचाई की सुविधा से महरूम रहते है. चांदन नदी से जुड़ जाने के बाद पूरा क्षेत्र ही पानी की समस्या से उबर जायेगा.
…और सुगाबथान डैम भी देगा सिंचाई की सुविधा
पोड़ैयाहाट के सुगाबथान गांव के पास सुगाबथान डैम बनाने की योजना भी अब तक खटाई में है. निशिकांत दुबे के सांसद बनने के बाद से सुगाबथान में डैम बनाने को लेकर लगातार प्रयास जारी रखा है. सांसद की पहल पर दो बार रांची से विभाग के सर्वेयर व इंजीनियरों की टीम वस्तु स्थिति की जानकारी लेकर गयी है. मगर कुछ राजनीतिक अड़चनों के कारण योजना के क्रियान्वयन में दिक्कतें आ रही है. 1978 में सुगाबथान डैम की स्वीकृति दी गयी. उस वक्त 5.78 करोड़ का आवंटन किया गया. इस मद का 2.12 करोड़ खर्च भी हो गया
…और सुगाबथान डैम…
मगर 40 साल में सुगाबथान डैम बनने का मामला जस का तस रह गया है. गत दिनों पोड़ैयाहाट के एक कार्यक्रम के दौरान सांसद ने अपने संबोधन में सिंचाई व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा था कि आज नहीं बल्कि 1857 में संताल परगना के कमीश्नर कास्टेयर की परिकल्पना थी, हरना का पानी कझिया व कझिया का सुगाबथान में जाकर मिलेगा.