कमजोर व्यवस्था . जिले में 55 चिकित्सकों का पद वर्षों से है रिक्त
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13 लाख की आबादी पर 50 डॉक्टर
कमजोर व्यवस्था . जिले में 55 चिकित्सकों का पद वर्षों से है रिक्त गोड्डा : कहने को तो जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बढ़िया है जिले के अधिकारी व पदाधिकारी भलें इस पर अपनी पीठ थपथपाते हों लेकिन जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे ही है. यह किसी का कहना है कि बल्कि विभाग के आकड़े […]
गोड्डा : कहने को तो जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बढ़िया है जिले के अधिकारी व पदाधिकारी भलें इस पर अपनी पीठ थपथपाते हों लेकिन जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे ही है. यह किसी का कहना है कि बल्कि विभाग के आकड़े ही इसकी पोल खोलते हैं. इसका अंदाजा सिर्फ चिकित्सकों की कमी से ही लगाया जा सकता है. जिले की वर्तमान आबादी तकरीबन 13 लाख से ज्यादा है. लेकिन पूरे जिले में चिकित्सकों की संख्या मात्र 50 है. जबकि पद सृजित 110 है. यहां के अधिकांश सीरियस रोगी या तो भागलपुर मायागंज बेहतर इलाज के लिये जाते हैं या फिर रांची का रुख करते हैं. बेहतर आॅपरेशन आदि के लिये जिले के रोगी यहां इलाज ही नहीं कराते हैं बल्कि मायागंज, पटना अथवा रांची जाने में ही अपनी भलाई समझते हैं.
मौजूदा हालात
प्रखंड स्वीकृत कार्यरत
गोड्डा सदर 03 01
महगामा 08 03
बसंतराय 02 00
पथरगामा 04 03
मेहरमा 08 03
ठाकुरगंगटी 04 03
बोआरीजोर 08 04
सुंदरपहाड़ी 04 03
सदर अस्पताल 30 08
पोड़ैयाहाट 04 03
बगैर पद सृजन के ही बन गये तीन-तीन स्वास्थ्य केंद्र
जिले में वर्षों पूर्व तीन नये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण किया गया है. लेकिन इनका निर्माण भी बगैर पद सृजन के ही हो गया है. मतलब ठेकेदारी के लिए. वर्षों निर्माण कार्य पूरा हुआ पर चिकित्सक की कौन पूछे एएनएम तक की पोस्टिंग नहीं हुई. इसमें रूपुचक, मोतिया व सिंघाड़ी का प्रा स्वा केंद्र है. करोड़ों की राशि से आम लोगों का भला नहीं हुआ बल्कि ठेकेदार व विभाग के अधिकारियों का ही भला हुआ है.
कालाजार भगाना चुनौती भरा काम
संताल के जिले में गोड्डा जिला को भी कालाजार उन्मूलन की सूची में रखा गया है. जिले में भी हर साल कालाजार रोगियों की संख्या बढ़ जाती है. हर हाल में जिले को कालाजार उन्मूलित करना है. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि जिले में मलेरिया पदाधिकारी तक नहीं है. यहां तो मलेरिया पदाधिकारी का पद तक सृजित तक नहीं है. यहां भी जैसे-तैसे राम भरोसे व्यवस्था चल रही है.
गोड्डा में सबसे ज्यादा है मातृ शिशु मृत्यु दर, करोड़ों का अस्पताल ही हो गया है बीमार
जिले की हालत तो देखिये. गोड्डा जिला झारखंड में ऐसा जिला है जहां मातृ शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा है. यहां अस्पताल का निर्माण भी वर्षों पूर्व हो गया है. लेकिन कहां यह विभाग के अधिकारी को छोड़कर शायद ही किसी को पता हो. अस्पताल का निर्माण जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर करमाटांड़ में किया गया है जो अब भुतबंगला हो ही गया है. भवन खंडहर में तब्दील हो गया है.
पत्राचार का असर नहीं
जिले में चिकित्सकों की घोर कमी है. फिजीशियन तक नहीं हैं. सदर अस्पताल में इलाज के लिये चिकित्सकों की अत्यंत कमी है. इसको लेकर विभागीय स्तर पर कई बार पत्राचार किया गया है. बहाली होने की जल्द ही संभावना है. तभी स्थिति में सुधार संभव है.
– वनदेवी झा, सिविल सर्जन
पोड़ैयाहाट में अधेड़ की संदेहास्पद मौत
पोड़ैयाहाट . पोड़ैयाहाट थाना क्षेत्र के पुराना बाजार में शनिवार की शाम को रघुनाथ साह उम्र 50 की मौत हो गयी है. रघुनाथ साह की मौत घर में ही हुई है. वे घर में अकेले थे. शनिवार को पुलिस ने शव को बरामद किया. घटना को लेकर बताया जाता है कि रघुनाथ साह शुक्रवार की देर रात घर पहुंचा था. शनिवार को सुबह में नहीं उठा तब जाकर आस पास के लोगों ने पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस ने बंद दरवाजे को तोड़ा तो मृत का शव घर में ही पाया. शव घर में चौकी के नीचे गिरा हुआ था. तब जाकर पुलिस द्वारा शव को बरामद किये जाने के बाद पोस्टमार्टम के लिये सदर अस्पताल भेज दिया गया. मामले को लेकर प्रभारी थाना प्रभारी ब्रज किशोर राम ने कहा कि पुलिस ने शव को बरामद किया है तथा पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया गया है. वहीं परिजनों को इसकी सूचना दे दी गयी है. मामले पर अभी पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है. आसपास के लोग भी इस घटना से हतप्रभ है.
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