if(!is_mobile()){ echo '

header

'; }
22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सीमा पर लड़ते-लड़ते शहीद हुआ था वीरेंद्र, सम्मान देकर भूल गयी सरकार

वर्ष 2005 के 24 जून को सीमा पर शहीद हुआ था वीरेंद्र महतो उनकी मजार पर तंत्र आज एक भूल भी चढ़ाना याद नहीं रखता मुआवजे व पेंशन तक सीमित रह गया सम्मान गोड्डा : शहीद के मजार पर हर वर्ष लगेंगे मेले..,वतन पर मिटने वाले का बांकी निशां होगा.. वर्ष 2005 के 24 जून […]

वर्ष 2005 के 24 जून को सीमा पर शहीद हुआ था वीरेंद्र महतो

उनकी मजार पर तंत्र आज एक भूल भी चढ़ाना याद नहीं रखता
मुआवजे व पेंशन तक सीमित रह गया सम्मान
गोड्डा : शहीद के मजार पर हर वर्ष लगेंगे मेले..,वतन पर मिटने वाले का बांकी निशां होगा.. वर्ष 2005 के 24 जून को जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक में गोड्डा जिले के पांडुबथान का लाडला वीरेंद्र महतो शहीद हो गया था. तब वीरेंद्र को कफन की जगह तिरंगे का सम्मान दिया गया. हर किसी के आंखों में आंसू थे. आज उनकी 12वीं बरसी मनायी जा रही है. स्थिति यह है कि इस शहीद के मजार पर एक फूल तक प्रशासन या जनप्रतिनिधि द्वारा नहीं चढ़ाया जाता. वीरेंद्र आर्मी 18 राष्ट्रीय राइफल में आरटी रेजमेंट में जवान था.
शहीद के घर में रहता पुरा परिवार
शहीद वीरेंद्र के घर में मां भूटिया देवी, बड़े भाई सुरेश महतो, निखिल महतो, बहन बसंती देवी, भतीजा सुनील महतो, उपेंद्र महतो,अनिल महतो, विसेश्वर महतो, भतीजी बबीता कुमारी है. पिता गोविंद महतो का स्वर्गवास पूर्व में ही हो चुका है.
मुआवजा व पेंशन देकर भूल गयी सरकार
वीरेंद्र के शहीद होने के बाद पीड़ित परिवार को आर्मी द्वारा मुआवजा दिया गया था. मां भुटिया ने बताया कि सेना की ओर से अलग-अलग चेक में दस लाख का मुआवजा मिला. खाते में पेंशन आ रहा है. लेकिन इसके बाद सरकार भूल गयी.
पांच एकड़ जमीन अब तक नहीं मिला
शहीद वीरेंद्र की मां भुटिया देवी ने बताया कि देश के खातिर शहीद होने वाले जवान के परिजन को सरकारी व्यवस्था के तहत पांच एकड़ जमीन दिये जाने का प्रावधान है, जो अब तक नहीं मिला है. जबकि इसके लिए शहीद की मां ने धर्मूडीह मौजा में दाग नंबर 1292 में जमीन चिह्नित कर सरकार को प्रस्ताव भेजा है. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं शुरू हुई.
कहती है शहीद की मां
बेटा खोया. देश की खातिर वीरेंद्र ने जवानी कुर्बान कर दी. सेना ने कर्तव्य निभाया. सरकारी तंत्र दगा दे गया. जमीन मिलती तो जिंदगी भर का गुजारा हो जाता. सरकार व प्रशासन देखने तक नहीं आती है. परिवार में एक भी सदस्य को नौकरी तक नहीं मिली.
-भुटिया देवी, शहीद की मां.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें