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समाजसेवा के लिए छोड़ी पुलिस की नौकरी

– सुमरजीत सिंह – गिरिडीह : आज के दौर में बड़ी ही मुश्किल से लोगों को सरकारी नौकरी मिलती है लेकिन कई ऐसे भी शख्स हैं जो अपनी भावनाओं में बहकर सरकारी नौकरी को त्याग देते हैं. प्रदीप करण सिद्धार्थ भी ऐसे लोगों में से एक हैं. समाजसेवा के लिए पीके सिद्धार्थ ने भारतीय पुलिस […]

– सुमरजीत सिंह –

गिरिडीह : आज के दौर में बड़ी ही मुश्किल से लोगों को सरकारी नौकरी मिलती है लेकिन कई ऐसे भी शख्स हैं जो अपनी भावनाओं में बहकर सरकारी नौकरी को त्याग देते हैं. प्रदीप करण सिद्धार्थ भी ऐसे लोगों में से एक हैं.

समाजसेवा के लिए पीके सिद्धार्थ ने भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी छोड़ दी. वर्तमान समय में श्री सिद्धार्थ कई संस्था संगठनों से जुड़ कर लोगों की सेवा कर रहे हैं. मंगलवार को प्रभात खबर से बात करते हुए पीके सिद्धार्थ ने बताया कि उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातक समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद 1981 में उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा में योगदान दिया.

2010 में जब वे त्रिपुरा राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे तो पूर्णकालिक तौर पर सामाजिक सेवा और लेखनकार्यो के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसके पूर्व वे तत्कालीन बिहार के भागलपुर(1989) और उसके बाद दुमका(1990) और पलामू(1991-92) में आरक्षी अधीक्षक के रूप में योगदान दे चुके हैं.

2005 और 2008 के बीच उन्होंने रांची में एचइसी के मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर काम किया. उन्होंने कहा कि नौकरी छोड़ने से पहले से भी वे कई सामाजिक संगठनों जुड़े थे. उन्होंने बताया कि हाल में भारतीय सुराज मंच के संयोजक का पद ग्रहण किया है.

शिक्षा तथा रोजगार सृजन के माध्यम से गरीबी उन्मूलन के विषय पर उन्होंने विशेष काम किया है. इसी तहत किसानों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए और उन्हें प्रेरित करने के लिए वे खेती से लखपति नामक एक फिल्म श्रृंखला के निर्माण से भी जुड़े रहे. जिसे दूर्दशन ने 2010 में पूरे देश में प्रसारित किया.

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