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विदेशी भाषा सीखने का सपना अधूरा, 29 लाख की लागत से बना लैंग्वेज लैब पड़ा है बेकार

आरके महिला कॉलेज. पिछले आठ मार्च को कुलपति डाॅ रमेश शरण ने किया था उद्घाटन गिरिडीह की छात्राओं का विदेशी भाषा सीखने का सपना अधूरा रह गया है. यहां के आरके महिला कॉलेज में 29 लाख की लागत से बना लैग्वेज लैब बेकार पड़ा है. गत आठ मार्च को विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति ने […]

आरके महिला कॉलेज. पिछले आठ मार्च को कुलपति डाॅ रमेश शरण ने किया था उद्घाटन

गिरिडीह की छात्राओं का विदेशी भाषा सीखने का सपना अधूरा रह गया है. यहां के आरके महिला कॉलेज में 29 लाख की लागत से बना लैग्वेज लैब बेकार पड़ा है. गत आठ मार्च को विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति ने इसका उद‍्घाटन किया था, लेकिन इसका लाभ अब तक छात्राओं को नहीं मिल पाया है.
गिरिडीह :आरके महिला कॉलेज में लैंग्वेज लैब बनने के बाद गिरिडीह की छात्राओं में उम्मीद जगी थी कि अब वे भी हिंदी, अंग्रेजी के अलावा अन्य विदेशी भाषाएं भी सीख पायेंगी. कॉलेज प्रशासन ने इसकी कवायद भी शुरू कर दी थी. विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ रमेश शरण ने आठ मार्च को इसका उद्घाटन भी किया, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उद्घाटन के चार माह बीतने को है और अब-तक एक भी छात्रा काे इसका लाभ नहीं मिल पाया है.
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा विभाग (रूषा) की ओर से आरके महिला कॉलेज के साइंस ब्लॉक में 29 लाख की लागत से आधुनिक सुविधाओं से लैस लैंग्वेज लैब बनाया गया है. इस लैब में छात्राओं को हिंदी, अंग्रेजी, अमेरिकन, फ्रांसी, जर्मन समेत अन्य कई भाषाओं को सिखाना था. एक मास्टर कंप्यूटर व 20 अन्य कंप्यूटर के जरिये विदेशी भाषाओं की पढ़ाई की योजना थी.

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