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देशभक्ति के जज्बे को याद कर चमक उठती हैं यमुना की आंखें
1942 में गांधी जी से मिले थे 1954 में मुखिया बने थे यमुना प्रसाद राय समशुल अंसारी गांडेय : आजादी के बाद 1954-55 में पहली बार हुए पंचायत चुनाव में मुखिया बने 95 वर्षीय यमुना प्रसाद की आंखे आज भी स्वतंत्रता आंदोलन और देशभक्ति के जज्बे को याद कर चमक उठती हैं. अंग्रेजी हुकूमत पर […]
1942 में गांधी जी से मिले थे
1954 में मुखिया बने थे यमुना प्रसाद राय
समशुल अंसारी
गांडेय : आजादी के बाद 1954-55 में पहली बार हुए पंचायत चुनाव में मुखिया बने 95 वर्षीय यमुना प्रसाद की आंखे आज भी स्वतंत्रता आंदोलन और देशभक्ति के जज्बे को याद कर चमक उठती हैं. अंग्रेजी हुकूमत पर चर्चा के दौरान उन्होंने कई उतार-चढ़ाव दिखाई देते हैं.
मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे यमुना प्रसाद राय ने बताया कि उनके बड़े भाई ज्वाला प्रसाद राय स्वतंत्रता सेनानी थे़ वह आजादी की लड़ाई में कई बाद जेल गये. आजादी के लिये हो रहे आंदोलन के क्रम में देवघर में आहूत सभा के दौरान वे 1942 में गांधी जी से मिले. हालांकि वर्तमान में देश की राजनीतिक हालत देखकर उनका मन उदास हो जाता है.
कहा कि गुलामी के दौर में केवल देश की आजादी को मुद्दा बनाकर आंदोलन होता था, लेकिन वर्तमान में अगड़ी-पिछड़ी, जाति-भेद व पैसे की राजनीति होती है़ कहा कि आजादी के बाद 1954-55 में वे पंचायत चुनाव में जीते और मुखिया बने और लगातार 20 वर्ष तक तत्कालीन लेदो पंचायत के मुखिया रहे़
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