Advertisement
खर्च पांच लाख, आय कुछ नहीं
उदासीनता. सफेद हाथी बना बीएसएनएल का टेलीफोन एक्सचेंज रमना : निजी दूरसंचार कंपनियों की मनमानी रोकने और मोबाइल फोन के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के बैनर तले भारत सरकार ने मोबाइल सेवा शुरू की थी. इसके ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ी, लेकिन गढ़वा जिले के रमना प्रखंड […]
उदासीनता. सफेद हाथी बना बीएसएनएल का टेलीफोन एक्सचेंज
रमना : निजी दूरसंचार कंपनियों की मनमानी रोकने और मोबाइल फोन के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के बैनर तले भारत सरकार ने मोबाइल सेवा शुरू की थी. इसके ग्राहकों की संख्या तेजी से बढ़ी, लेकिन गढ़वा जिले के रमना प्रखंड में पांच साल से बीएसएनएल की सेवा पूरी तरह से चरमरा गयी है. मोबाइल सेवा भी ठप है. हालांकि, अनुमंडल पदाधिकारी कहते हैं कि 21 जून, 2016 से मोबाइल सेवा ठप है.
उधर, स्थानीय लोगों की मानें, तो वर्षों से बीएसएनएल की तमाम सेवाएं ठप हैं. मोबाइल फोन लगता नहीं. सिम कार्ड बिकता नहीं. बीएसएनएल का पुराना सिम कार्ड है, तो उसे री-चार्ज भी नहीं करा सकते. सबसे ज्यादा मुश्किल उन लोगों को होती है, जो बाहर से यहां आते हैं. यदि ऐसे लोगों के सिर्फ बीएसएनएल का सिम है, तो उनका किसी से बात करना मुश्किल होजाता है.
ज्ञात हो कि एक दशक पहले रमना में लगभग 800 लैंडलाइन फोन यूजर्स थे. भारी संख्या में पीसीओ चलते थे, जहां बीएसएनएल का कनेक्शन था. अब कहीं बीएसएनएल का कनेक्शन नहीं है. 72,500 की आबादीवाले रमना प्रखंड में 20,000 से अधिक मोबाइल फोन उपभोक्ता हैं. सभी निजी कंपनियों की सेवा ले रहे हैं. यहां तक कि प्रखंड कार्यालय में भी निजी कंपनी के फोन लगे हैं.
ऐसा नहीं है कि इस मामले से बीएसएनएल के आला अधिकारी अनभिज्ञ हैं. इस संबंध में कई बार अधिकारियों को जानकारी दी गयी और समस्या का निदान करने की मांग की गयी. जून में प्रदेशस्तरीय दूरभाष सलाहकार समिति की बैठक में समिति के सदस्य सह पूर्व उप प्रमुख अखिलेश कुमार पासवान ने भी रमना में जीएम को पत्र लिख कर बीएसएनएल की सेवा में सुधार करने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इधर, बीएसएनएल के एसडीओ यह तो मानते हैं कि प्रखंड में सरकारी कंपनी का कोई ग्राहक नहीं बचा, लेकिन वह यह मानने को तैयार नहीं कि पांच साल से बीएसएनएल की सेवा पूरी तरह ठप है. वह कहते हैं कि तेल की कमी और कुछ अन्य कारणों से 21 जून, 2016 से कंपनी की दूरसंचार सेवा ठप है.
सेवा प्रदाता बदल रहे लोग
बीएसएनएल का सिम बाजार में आया था, इसे खरीदने के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगती थीं. सिम कार्ड ब्लैक में बिकते थे. रमना प्रखंड में भी बीएसएनएल के हजारों उपभोक्ता बने, लेकिन लचर सेवा की वजह से सभी ने मोबाइल पोर्टेबिलिटी का लाभ उठाते हुए सेवा प्रदाता कंपनी बदल ली. इससे बीएसएनएल के उपभोक्ता तो घटे ही, उसकी कमाई भी खत्म हो गयी.
हर माह 40 हजार रुपये खर्च
रमना स्थित टेलीफोन एक्सचेंज में डीआरएम जलालुद्दीन के भरोसे है. वह कहते हैं कि केबुल फॉल्ट और बैट्री खराब होने की वजह से टेलीफोन सेवा पूरी तरह ठप है. तेल नहीं मिलने की वजह से जेनरेटर भी खराब है. बहरहाल, जलालुद्दीन को बिना कोई काम किये दूरसंचार विभाग हर महीने भुगतान करता है.
सिर्फ खर्च करता है विभाग
रेगुलर मजदूर का वेतन 20 से 25 हजार और एक्सचेंज के लिए लिये गये मकान का किराया 10-15 हजार रुपये मान लें, तो हर महीने 40 हजार रुपये खर्च बैठता है. मेंटनेंस खर्च यदि 2,000 रुपये भी हो, तो एक्सचेंज के संचालन पर साल में पांच लाख रुपये खर्च हो जाते हैं. इतनी बड़ी रकम खर्च होने के बावजूद विभाग को न एक पैसे की आमदनी होती है, न लोगों को टेलीफोन सेवा ही मिलती है.
15 साल पहले बना था एक्सचेंज
रमना प्रखंड में टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना करीब 15 वर्ष पहले हुई थी. तब यहां सरकारी दो कर्मचारी और एक दिहाड़ी मजदूर था. करीब छह साल पहले एक विभागीय कर्मचारी रिटायर हो गया और दिहाड़ी मजदूर अजय राम को हटा दिया गया.
सवाल
सरकार हर पंचायत सचिवालय को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की घोषणा कर चुकी है. जब बीएसएनएल का टेलीफोन एक्सचेंज ही ठप है, तो ब्रॉडबैंड सेवा कहां से देंगे?
एक कर्मचारी को बैठा कर जितना वेतन देते हैं, उतने में बैटरी नहीं बदल जायेगा?
रमना में पांच साल से मोबाइल सेवा ठप नहीं है. यह काम करता था. 21 जून, 2016 से कुछ खराबी की वजह से मोबाइल सेवा ठप है. फॉल्ट को जल्द ही सुधार लिया जायेगा और दूरसंचार सेवा भी शुरू हो जायेगी.
प्रभात कुमार, एसडीओ, बीएसएनएल
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement