धालभूमगढ़ : नोटबंदी का प्रभाव खेती पर पड़ने लगा है. बाजार में रुपयों की कमी से धान कटनी प्रभावित होने लगा है. जुगीशोल पंचायत के चतरो के ग्राम प्रधान राजेन मुंडा, लसो राम मुर्मू ने बताया कि अभी खेतीहर मजदूर अनाज के बदले मजदूरी में रुपये में लेना पंसद करते हैं. जो लोग नगद भुगतान कर रहे हैं. मजदूर उनके खेतों में काम करने लगे हैं. रावताड़ा पंचायत के खड़ियाशोल के किसान रंजीत मार्डी ने बताया कि कैश के अभाव में धान कटनी बंद हो गयी है.
बैंक में घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद से दो हजार रुपये की निकासी हो रही है. चुकरीपाड़ा पंचायत के पानीजिया के ग्राम प्रधान कमल गोप ने बताया कि नोटबंदी से धान कटनी और खेतों से धान का उठाव प्रभावित हुआ है. पंचायत के ही पैड़ाशोल गांव के सुधीर महतो ने बताया कि पके फसल को पहले काटे या नोट बदलने के लिए बैंक की लाइन में खड़ा हों.
मजदूर नहीं मिल रहे हैं. परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर धान कटनी करनी पड़ रही है. महुलीशोल पंचायत के नूतनडीह के किसान भक्त प्रहलाद महतो ने बताया कि नये नोट के लिए धान बेचना चाहते हैं, तो कोई व्यापारी लेने के लिए तैयार नहीं है. सात कठिया के किसान निरोध वरण महतो ने बताया कि नोटबंदी होने से उत्पादित सब्जियां कम मूल्य पर बेचने के लिए बाध्य हैं. खुदरा नोटों के अभाव के लिए साप्ताहिक हाटों में ग्राहकों की संख्या आधा से भी कम हो गयी है. नोट बंदी का प्रभाव खेती में पड़ने लगा है.