रनवे तक के लिए एप्रोच, वॉच टॉवर आदि के लिए भी बनाया गया डीपीआर
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दुमका में उड़ान अकादमी का संचालन की संभावना कम
रनवे तक के लिए एप्रोच, वॉच टॉवर आदि के लिए भी बनाया गया डीपीआर दुमका : उपराजधानी दुमका में उड़ान अकादमी को शुरू करने की पहल इस वर्ष होगी या नहीं, यह अब तक तय नहीं हो पाया है. हालांकि इसके लिए भवन निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. रांची की कंस्ट्रक्शन कंपनी सरयुग […]
दुमका : उपराजधानी दुमका में उड़ान अकादमी को शुरू करने की पहल इस वर्ष होगी या नहीं, यह अब तक तय नहीं हो पाया है. हालांकि इसके लिए भवन निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. रांची की कंस्ट्रक्शन कंपनी सरयुग गौतम कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा यहां प्रशासनिक भवन, हैंगर तथा हॉस्टल बनवाया जा रहा है. ये सभी निर्माण कार्य दुमका हवाई अड्डा में ही हुआ है. वीवीआइपी के आगमन के दौरान प्रशिक्षण केंद्र से कोई व्यवधान न पड़े, इसके लिए उड़ान प्रशिक्षण केंद्र का प्रशासनिक भवन तथा हॉस्टल का गेट मुख्य सड़क की ओर खोला जा रहा है. इसके लिए चहारदीवारी को तोड़ा जायेगा. दोनों भवनों के पिछले हिस्से को भी चहारदीवारी से घेरा जायेगा.
भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता रामेश्वर दास ने बताया कि दुमका में फ्लाइंग एंड एयरक्राफ्ट मैनटेनेंस एंड इंजीनियरिंग काम्पलेक्स के निर्माण में लगभग 10.87 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. अब रनवे तक के लिए एप्रोच, वॉच टॉवर आदि निर्माण कार्य के लिए भी डीपीआर बनाया जा रहा है.
तय नहीं हुआ है पीपीपी मोड में चलेगी अकादमी या खुद चलायेगी सरकार : नागर विमानन विभाग के निदेशक कैप्टन सुरेंद्र प्रसाद सिन्हा ने प्रभात खबर को बताया कि अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि यह अकादमी पीपी मोड में चलेगी या सरकार खुद चलायेगी. उन्होंने कहा कि पिछले दिनो ही उन्होंने निर्माण कार्य का मुआयना किया था. अभी भवन निर्माण कार्य में फर्निशिंग के कार्य बचे हुए हैं.
2008 में स्थापित हुई, पर नहीं हुआ था उड़ान प्रशिक्षण प्रारंभ
साढे आठ साल पहले 10 नवंबर 2008 को मुख्यमंत्री रहते शिबू सोरेन ने दुमका में उड़ान अकादमी की शुरुआत की थी. उन्होंने अपने माता-पिता के नाम से सोना सोबरन उड़ान अकादमी का शुभारंभ किया था. भव्य समारोह आयोजित हुआ था. सरकार द्वारा खरीदे गये जेलिन व ग्लाइडर ने खूब उड़ाने भरीं थी. कई दुमकावासियों ने भी हवाई सैर की थी. पर तकनीकी अड़चनों की वजह से यह उस वक्त बंद हो गया और एक भी बच्चे पायलट की ट्रेनिंग नहीं ले सके. बाद की सरकारों ने इसे शुरु कराने की पहल की.
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