सिउड़ी के एक नर्सिंग होम में मंगलवार की अहले सुबह अंतिम सांस ली
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नहीं रहे साहित्यकार श्रीदाम बंदोपाध्याय
सिउड़ी के एक नर्सिंग होम में मंगलवार की अहले सुबह अंतिम सांस ली दुमका : बंगला साहित्यकार श्रीदाम बंदोपाध्याय नहीं रहे. नौरंगी गांव के श्रीदाम बाबू ने सिउड़ी के एक नर्सिंग होम में मंगलवार की अहले सुबह अंतिम सांस ली. मयूराक्षी नदी के तट पर मंगलवार प्रख्यात सहित्यकार श्रीदाम बंदोपाध्याय का दाह संस्कार कर दिया […]
दुमका : बंगला साहित्यकार श्रीदाम बंदोपाध्याय नहीं रहे. नौरंगी गांव के श्रीदाम बाबू ने सिउड़ी के एक नर्सिंग होम में मंगलवार की अहले सुबह अंतिम सांस ली. मयूराक्षी नदी के तट पर मंगलवार प्रख्यात सहित्यकार श्रीदाम बंदोपाध्याय का दाह संस्कार कर दिया गया. आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उनके अंतिम दर्शन को पहुंचे. वे अपने पीछे पत्नी, पुत्र, पुत्रवधू के साथ चार बेटियों का भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं. श्री दाम पेशे से वीरभूम जिला के प्राथमिक शिक्षक थे.
नब्बे के दशक मे प्रखंड साक्षरता समिति रानीश्वर से प्रकाशित अकिल बत्ती संदेश पत्रिका का संपादन करते थे. लगातार पचास वर्ष राधा माधव पत्रिका प्रकाशन भी उन्होंने किया था. बांग्ला भाषा ओ संस्कृति रक्षा समिति झारखंड के झारखंड बंग भाषी जागरण पत्रिका का भी उनके द्वारा सम्पादन किया गया था. उन्होंने बांग्ला लोक संस्कृति संताल एवं पहाड़िया के जीवन शैली पर कई आलेख भी लिखे थे. धनबाद से प्रकशित आमि अनन्या, गिरीडीह से प्रकाशित उश्री के साथ पश्चिम बांग्ला के विभिन्न पत्रिका में उनकी अनगिनत रचनायें प्रकाशित हुई थी. बांग्ला भाषा ओ संस्कृति रक्षा समिति के गौतम चटर्जी ने उनके निधन को झारखंड के साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है.
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