– आनंद जायसवाल –
दुमका : उपराजधानी का मुख्यमंत्री सचिवालय-सह-कैम्प कार्यालय हाथी का दांत ही साबित हो रहा है. रख-रखाव, रंगाई-पुताई तथा सुरक्षाकर्मियों व आदेशपाल के वेतन में हर साल लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.
साल भर में इस सीएम कैम्प कार्यालय में न तो कभी सीएम ने और न ही मुख्यमंत्री सचिवालय के किसी पदाधिकारी ने कैम्प किया. अलबत्ता जब-जब मुख्यमंत्री बदले, स्वागत के लिए रंग-रोगन में लाखों रुपये बहाये गये. इस मुख्यमंत्री सचिवालय-सह-कैम्प कार्यालय की हैसियत तो अब पोस्टऑफिस की भी नहीं रही.
चार-पांच साल पहले तक लोग आवेदन देने और अपनी फरियाद सीधे सीएम तक पहुंचाने के लिए इस कार्यालय में पहुंचते थे. तब यहां तृतीय वर्ग का एक कर्मी व एक शिक्षक यहां प्रतिनियुक्त था.
एक-चार के फोर्स यहां तैनात होते थे. जो आवेदन मिलते थे, उसे एक साथ संग्रहित कर रांची भेजा जाता था. लेकिन बदलते समय के साथ इस कैम्प कार्यालय की रौनक भी जाती रही. अब इस सीएम कैम्प कार्यालय के सामने फेरीवाले कपड़े तथा खोमचे वाले शाम में चाट-पकौड़े बेचते हैं.
फिलवक्त साढे तीन साल से यह कार्यालय तो एक आदेशपाल चला रहा है. दो लाठीधारी पुलिस सुरक्षा के लिए तैनात हैं. नगर परिषद् अपना सफाईकर्मी इस भवन की साफ-सफाई के लिए पहुंचता है.