प्रतिनिधि, मसलियामसलिया प्रखंड से महज दस किमी की दूरी पर दलाही के प्रसिद्ध नुनबील गर्म जलकुंड विकास की मंजिल से कोसों दूर है. यह यहां के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है. पहली जनवरी को दूर-दराज से लोग पहुंचकर स्नान व नुनबील बूढ़ी माता क ो नमक एवं बतासा चढ़ाकर पूजा पाठ भी करते हैं. कई लोग यहां पर मुर्गा की बलि देकर पास के मैदान में वनभोज भी करते हैं. नुनबील माता क ी पूजा आदिम जनजाति पहाडि़या समुदाय के लोग करते हैं. यहां के मुख्य पंडा पहाडि़या ही है. इसी मैदान में हर साल मकर संक्राति के उपलक्ष्य में आठ दिवसीय मेला भी लगता है. इस साल यह मेला 16 से 23 जनवरी तक आयोजित होगा. नहीं हुआ पर्यटन विकास का कोई कामआज तक इस गरम कुंड का सौंदर्यीकरण का कोई काम नहीं हुआ है और न ही मेला स्थल को समतल किया गया है. मेले से हर साल सरकार को एक अच्छी खासी रकम राजस्व के रूप में प्राप्त होती रही है, पर उस राजस्व का भी उपयोग इस मेले के लिए या फिर इस कुंड को आकर्षक बनाने के लिए नहीं किया गया है. यहां एक यात्री शेड तो बना है. लेकिन शेड में बैठने की सुविधा नहीं है. धार्मिक आस्था का प्रतीक यह नुनबील बुढ़ी का पिंडा भी अब तक मंदिर का रूप नहीं ले सका है. इस गरम कुंडतक पहुंचने का मार्ग भी बदहाल ही पड़ा हुआ है. …………………………………………फोटो-6 डीएमके /मसलियादलाही नुनबिल नदी तट पर नुनबिल बूढी बेदी.
16 से लगेगा नुनबील मेला, प्रशासन की तैयारी पूरी
प्रतिनिधि, मसलियामसलिया प्रखंड से महज दस किमी की दूरी पर दलाही के प्रसिद्ध नुनबील गर्म जलकुंड विकास की मंजिल से कोसों दूर है. यह यहां के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है. पहली जनवरी को दूर-दराज से लोग पहुंचकर स्नान व नुनबील बूढ़ी माता क ो नमक एवं बतासा […]
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