कोल डंप में कोयला की कमी के बारे में मजदूरों का कहा है कि कुसुंडा ओसीपी से अभी उत्पादन पहले की अपेक्षा कम किया जा रहा है. कम उत्पादन होने का खमियाजा लोडिंग मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है. वैसे जल्द ही टेंडर होने की बात स्थानीय प्रबंधन पिछले एक माह से कह रहा है, लेकिन कोल डंप में कोयला उपलब्ध नहीं करा रहा है. अगर यही स्थिति रही तो ट्रक लोडिंग करनेवाले मजदूरों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन हो जायेगी.
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बीसीसीएल: कुसुंडा कोल डंप को नहीं मिल रहा पर्याप्त कोयला, 2000 मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट
केंदुआ : कुसुंडा कोल डंप में ट्रकों में कोयला लोड करनेवाले मजदूरों की मानें तो पहले रोज एक दंगल को चार से पांच ट्रक लोड करने का काम मिल जाता था, लेकिन विगत एक माह से एक गाड़ी भी मुश्किल से मिल पा रही है. पहले कोल डंप में जहां करीब 250 गाड़ियां लोडिंग के […]
केंदुआ : कुसुंडा कोल डंप में ट्रकों में कोयला लोड करनेवाले मजदूरों की मानें तो पहले रोज एक दंगल को चार से पांच ट्रक लोड करने का काम मिल जाता था, लेकिन विगत एक माह से एक गाड़ी भी मुश्किल से मिल पा रही है. पहले कोल डंप में जहां करीब 250 गाड़ियां लोडिंग के लिए पहुंचती थी, अब कोयला की कमी के कारण बमुश्किल 100 गाड़ियां पहुंच रही हैं. इसमें भी कई गाड़िया कोयला उपलब्ध नहीं रहने पर बैरंग लौट जा रही हैं.
कोल डंप में कोयला की कमी के बारे में मजदूरों का कहा है कि कुसुंडा ओसीपी से अभी उत्पादन पहले की अपेक्षा कम किया जा रहा है. कम उत्पादन होने का खमियाजा लोडिंग मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है. वैसे जल्द ही टेंडर होने की बात स्थानीय प्रबंधन पिछले एक माह से कह रहा है, लेकिन कोल डंप में कोयला उपलब्ध नहीं करा रहा है. अगर यही स्थिति रही तो ट्रक लोडिंग करनेवाले मजदूरों के समक्ष रोजी रोटी की समस्या उत्पन हो जायेगी.
यूनियन नेताआें की चिंता
कुसुंडा ओसीपी में कोयला का अकूत भंडार है, लेकिन उच्च प्रबंधन के उदासीन रवैये के कारण ओसीपी से कोयला उत्पादन नहीं हो रहा है. जानकारी के अनुसार सी पैच की फाइल कोयला भवन गयी हुई है, लेकिन उच्च प्रबंधन की उदासीनता के कारण मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति है. अगर कोल डंप के मजदूरों को प्रबंधन ने पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध नहीं कराया तो मजदूर आंदोलन को बाध्य होंगे.
कुश कुमार सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष, बीएमएस कुसुंडा क्षेत्र
कुसुंडा ओसीपी से उत्पादन न होना कंपनी व मजदूर हित में नहीं है. ओसीपी से कंपनी को उत्पादन करना चाहिए. 2000 हजार मजदूरों के परिवारों के पेट का सवाल है. उच्च प्रबंधन अगर मजदूरों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेता है तो एरिया घाटे में चली जायेगी.
अरविंद कु. सिंह, केंद्रीय सचिव, जमसं
एक समय था जब कुसुंडा क्षेत्र में दर्जनों अंडरग्राउंड खाने थीं. सभी को बंद कर प्रबंधन ने ओसीपी शुरू की. अब ओसीपी को भी प्रबंधन सही ढंग से नहीं चला रहा है. इसके कारण लोडिंग मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. प्रबंधन को कंपनी आैर मजदूर हित में ओसीपी चलाना चाहिए.
राजेंद्र प्रसाद सिंह, बीएमएस कुसुंडा क्षेत्र
कुसुंडा ओसीपी से पहले उत्पादन एस्टिमेट के अनुसार ज्यादा किया जाता था तो मजदूरों को ज्यादा कोयला मिलता था. अभी कम करना है तो डंप में कम कोयला दिया जा रहा है. जब तक पैच सी चालू नहीं हो जाता तब तक समस्या है. पैच सी चालू करने के लिए प्रक्रिया चल रही है. पैच सी शुरू होते ही मजदूरों की समस्या दूर हो जायेगी.
एके शर्मा, पीओ न्यू गोधर कुसुंडा कोलियरी
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