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शांति के लिए प्रभु का ध्यान करें : स्वामी नित्यानंद

धनबाद : शंभु धर्मशाला में चल रहे भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को रोहतक से आये स्वामी नित्यानंद महेश ने कहा कि भारतीय संस्कृति से परिचित हुए बिना धर्म को नहीं जाना जा सकता है. वैदिक धर्म ही एकमात्र धर्म है. धर्म का संबंध कट्टरता से नहीं, करूणा से है. धर्म परमार्थ पर चलने […]

धनबाद : शंभु धर्मशाला में चल रहे भागवत कथा के दूसरे दिन शनिवार को रोहतक से आये स्वामी नित्यानंद महेश ने कहा कि भारतीय संस्कृति से परिचित हुए बिना धर्म को नहीं जाना जा सकता है. वैदिक धर्म ही एकमात्र धर्म है. धर्म का संबंध कट्टरता से नहीं, करूणा से है. धर्म परमार्थ पर चलने की प्रेरणा देता है. धर्म का तात्पर्य है सबका भला करो.

आचरण का नाम धर्म है. भागवत का आरंभ सत्य से हुआ है अंत भी सत्य से होगा. सत्य एक है उसे अलग नहीं किया जा सकता. भागवत श्रवण से मानव सब पाप से मुक्त होता है. भागवत ने संसार को सर्प कहा है. क्रोध, लोभ, द्वेष का विष जब जीवन में फैलने लगता है, जीवन अशांत हो जाता है. शांति पाने के लिए प्रभु का ध्यान करें. भागवत कथा मन पर संयम रखना सीखाती है. मौके पर बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे.

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