ऐसे में चिकित्सकीय सेवा बाधित होना स्वाभाविक है. सरकार को कमियों को दूर करना चाहिए. स्वास्थ्य केंद्रों को संसाधन संपन्न करना चाहिए, लेकिन मुख्य सचिव जबरन डॉक्टरों पर कार्रवाई पर तुली हैं.
इसके विरोध में आइएमए व झासा ने आंदोलन चलाया था. केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार से बातचीत की थी, केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन ने भी राज्य सरकार से हस्तक्षेप किया था, लेकिन राज्य सरकार को इससे मतलब नहीं है. मजबूर होकर सरकारी डॉक्टर इस्तीफा दे रहे हैं. डॉ सिंह ने बताया कि इससे पहले 28 से 30 तक डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार करके अपनी आवाज उठायी थी, लेकिन इस पर कोई सुनवाई भी नहीं हुई. सरकार आइएमए व झासा में फूट डालने की राजनीति कर रही है, जो निंदनीय है. चिकित्सकीय सेवा दुरूस्त होगी, तभी आम लोगों को इसका लाभ मिलेगा.