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छह साल में 11 नगर आयुक्त बदले गये
धनबाद: नगर निगम में छह साल की अवधि में 11 नगर आयुक्त बदले गये. रमेश घोलप सबसे कम दिनों तक नगर आयुक्त रहे. हालांकि 66 दिनों में अपनी कार्यशैली की बदौलत यह एहसास दिलाया कि नगर निगम के पास कितना पावर है. सबसे गंदे शहर का दाग धोने की कवायद शुरू की. मैन पावर की […]
धनबाद: नगर निगम में छह साल की अवधि में 11 नगर आयुक्त बदले गये. रमेश घोलप सबसे कम दिनों तक नगर आयुक्त रहे. हालांकि 66 दिनों में अपनी कार्यशैली की बदौलत यह एहसास दिलाया कि नगर निगम के पास कितना पावर है. सबसे गंदे शहर का दाग धोने की कवायद शुरू की. मैन पावर की कमी को पूरा करते हुए निगम को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने की कोशिश की. लेकिन अल्प समय में ही उनका तबादला हो गया.
सरकार का निर्णय है, जहां पोस्टिंग होगी ज्वाइन करूंगा : घोलप
नगर आयुक्त रमेश घोलप ने कहा कि तबादला एक प्रक्रिया है. यह सरकार का निर्णय है. जहां पोस्टिंग होगी, वहां ज्वाइन करूंगा. सरकार ने नगर आयुक्त का जो दायित्व सौंपा था, उसका नियमत: पालन किया. 66 दिनों के कार्यकाल में आम जनता को न्याय दिलाने की कोशिश की. प्रधानमंत्री आवास योजना व स्वच्छ भारत मिशन को गति देने का प्रयास किया गया. बहुत कम समय में 566 लाभुकों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया गया. स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय निर्माण में भी 49 हजार फॉर्म जेनेरेट किये गये. यही नहीं निगम को आर्थिक सुदृढ़ करने की दिशा में भी पहल की गयी. ईमानदारी से न्याय संगत प्रयास किया गया. कम समय में तबादला के सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि यह सरकार का निर्णय है. सरकार जहां पोस्टिंग करेगी, वहां ज्वाइन करूंगा.
पार्षदों ने कहा : अच्छे अधिकारी को टिकने नहीं दिया जाता
निर्मल मुखर्जी (वार्ड नंबर 26) : धनबाद नगर निगम का दुर्भाग्य है. अच्छे अधिकारी को यहां टिकने नहीं दिया जाता है. नगर आयुक्त की कुरसी, मेयर का म्यूजिकल चेयर बन गया है. डेढ़ साल में तीन नगर आयुक्त बदले गये.
अशोक पाल (वार्ड नंबर 20) : धनबाद नगर निगम ने एक अच्छे पदाधिकारी को खो दिया. एक तरफ सरकार ईमानदारी का पाठ पढ़ाती है. दूसरी तरफ स्वार्थ के लिए अच्छे अधिकारी का तबादला करा देती है.
पूजा कुमारी (वार्ड नंबर 28): धनबाद में डेढ़ साल में तीन नगर आयुक्त बदले गये. नगर आयुक्त निगम को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहे थे. इसी बीच उनका तबादला करा दिया गया.
प्रियरंजन (वार्ड नंबर 25) : नगर आयुक्त अच्छा काम कर रहे थे. निगम को रास्ते पर लाने का प्रयास कर रहे थे. हालांकि उनका होटल व धर्मशाला को सील करने का निर्णय थोड़ा कठोर था. उन्हें पहले नोटिस देना चाहिए था.
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