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वीसी को दिखाया काला झंडा, हंगामा
धनबाद: अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शुक्रवार को एसएसएलएनटी महिला कॉलेज के गेट पर कुलपति डॉ. गुरदीप सिंह का जम कर विरोध किया व काला झंडा दिखाया. कुलपति के सामने ही दो छात्र संगठनों में जमकर मारपीट भी होने लगी. परिषद के नेताआें आैर कार्यकर्ताआें ने कुलपति की कार […]
धनबाद: अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने शुक्रवार को एसएसएलएनटी महिला कॉलेज के गेट पर कुलपति डॉ. गुरदीप सिंह का जम कर विरोध किया व काला झंडा दिखाया. कुलपति के सामने ही दो छात्र संगठनों में जमकर मारपीट भी होने लगी. परिषद के नेताआें आैर कार्यकर्ताआें ने कुलपति की कार को रोक कर कॉलेज गेट को जाम कर दिया. कुलपति ने अपनी कार से बाहर आकर जब प्रदर्शनकारी छात्रों से उनकी मांग जाननी चाही तो परिषद के छात्रों ने ‘नारा लगाया कि वीसी गुरदीप गो बैक, भ्रष्टाचार नहीं चलेगा.’
कुलपति के काफी समझाने-बुझाने के बाद भी प्रदर्शनकारी छात्र नहीं माने आैर विरोध करते रहे. कुलपति ने विरोध कर रही एक छात्रा से डिमांड पूछा तो छात्रा का जवाब था कि वह नहीं जानती है. डिमांड हमारे नेता से पूछें. हमें तो केवल प्रदर्शन करने के लिए कहा गया है. अंतत: कुलपति अपनी कार में बैठ गये, लेकिन प्रदर्शनकारी उनके कार के आगे लेट गये.
दूसरे छात्र नेताओं से भिड़ंत : एक एससी लाचार छात्र को छात्रवृति दिलाने के लिए कुलपति को ज्ञापन देने गये छात्र नेता ऋषिकांत यादव से अभाविप छात्रों की बहसबाजी होने लगी. फिर दोनों आेर से मारपीट होने लगी. ऋषिकांत के समर्थक छात्रों ने अभाविप नेताओं को कुलपति के वाहन के आगे से खींच कर हटाया, तब जाकर कहीं कुलपति का वाहन निकल सका. कुलपति डॉ सिंह कॉलेज के स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के बाद वापस लौट रहे थे.
सुनने को तैयार नहीं थे वीसी : अभाविप नेता पुष्परंजन ने बताया कि अपनी 11 सूत्री लंबित मांगों को लेकर वह कुलपति से लंबे समय से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह हमारी सुनने को तैयार नहीं थे, इसलिए यह विरोध करना पड़ा. परिषद की मांगों में 90 दिन की क्लास सुनिश्चित करना, एक समय में मूल्यांकन व परीक्षा ड्यूटी करने वालों पर कार्रवाई, निधि सिंह आत्महत्या की जांच सार्वजनिक करने तथा उसमें दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने, एकेडमिक कैलेंडर लागू करने सहित अन्य मांगें शामिल हैं. इधर, ऋषिकांत व उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने मारपीट नहीं की है, बल्कि अभाविप कार्यकर्ता द्वारा जब उनकी पिटाई की जाने लगी तो सिर्फ अपना बचाव किया.
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