धनबाद: कॉरपोरेट कल्चर और बैंकिंग सेक्टर में निजी कंपनियों की पैठ ने सरकारी बैंकों की तसवीर बदलने का काम किया है. विदेशी व प्राइवेट बैंकों की तरह राष्ट्रीयकृत बैंक भी अप टू डेट हो गये हैं अथवा होने की कोशिश में हैं.
महत्वपूर्ण बात यह कि आज बैंकों की कमान युवाओं के हाथों में है. 35 वर्ष के युवा नितेश कुमार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की बैंक मोड़ शाखा के प्रबंधक हैं. धनबाद जिले के छोटे से कोलियरी कस्बे भौंरा स्कूल से प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा प्राप्त श्री कुमार ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से मास्टर डिग्री की. इसके बाद उनकी इच्छा प्रशासनिक सेवा में जाने की थी. इसी बीच उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पीओ की परीक्षा दी. पहली बार में ही उन्होंने सफलता पायी. बैंक की नौकरी से पूरी तरह संतुष्ट हैं और अपने काम को वह चुनौती के रूप में लेते हैं. हर दिन कुछ नया करने का सोच रखते हैं.
युवा पीढ़ी सक्षम : श्री कुमार का मानना है कि ‘‘हर सेक्टर में अवसर हैं और अपनी पहचान बनायी जा सकती है. यदि आपका संकल्प दृढ़ और इरादा पक्का है, तो निश्चित रूप से मंजिल मिलेगी.’’ समय के अनुसार बैंकिंग सेक्टर में काफी बदलाव आया है. बिजनेस के साथ लोगों की मानसिकता भी काफी बदली है. 1995 के पहले पीओ की वैकेंसी कम निकलती थी. 1995 के बाद पीओ की सीट बढ़ी. टेक्नोलॉजी भी एडवांस हुई. एडवांस टेक्नोलॉजी को टेक अप करने में आज की युवा पीढ़ी सक्षम है.
ड्राफ्ट बनाने में निकल गया दिन : श्री कुमार बताते हैं कि मैं जब छात्र था. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के झरिया ब्रांच में ड्राफ्ट बनाने पहुंचा. ड्राफ्ट बनाने में पूरा दिन निकल गया. लेकिन आज बैंकिंग सेक्टर में काफी बदलाव आया है. सेंट्रल बैंक अप टू डेट है. हाथों हाथ ड्राफ्ट बनते हैं. ऑन लाइन बैंकिंग सेवा दी जा रही है. नेट बैंकिंग के साथ एसएमएस व मोबाइल बैंकिंग सेवा भी उपलब्ध है. जल्द ही एकाउंट्स पोर्टेबिलिटी भी शुरू होगी.