धनबाद: सरकारी कंबल और अलाव गरीबों के लिए ख्याली पुलाव बन कर रहे गये हैं. तेज ठंड में न कंबल मिल रहे हैं और न ही अलाव की व्यवस्था हो रही है. भला हो उन व्यक्तियों-संगठनों का जो घूम-घूम कर कंबल वितरण कर रहे हैं. नहीं तो गरीबों की जान पर बन आती. यह स्थिति तब है जब सरकार की तरफ से पैसे दे दिये गये हैं.
कंबल के लिए मिले 16 लाख : श्रम एवं नियोजन, ग्रामीण विकास विभाग मंत्री चंद्रशेखर दुबे के अनुसार दो करोड़ रुपये पहले सभी जिले को भेजे गये. दूसरी किस्त में तीन करोड़ दिये गये. दूसरी किस्त में धनबाद के हिस्से 15 लाख, 98 हजार, नौ सौ रुपये आया. इस पैसे से कंबल खरीदगी के लिए टेंडर तक नहीं हुए. आमतौर पर माना जाता है कि मकर संक्रांति (14 जनवरी ) के बाद ठंड कम होने लगती है. अगर इसके बाद टेंडर होगा तो बंटते-बंटते गरमी आ जायेगी. पहले चरण में भी जो कंबल आये उसे पार्षद के माध्यम से बांटना था लेकिन अधिकांश पार्षदों ने कहा कि उन्हें पांच तो क्या एक भी कंबल बांटने के लिए नहीं मिला. श्री दुबे ने कहा कंबल तो बंट जाना चाहिए था. अभी पांच करोड़ रुपये और कंबल के लिए देंगे.
अलाव के लिए साढ़े 10 लाख : राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री मन्नान मल्लिक बताते हैं कि गरीबों को राहत देने के उद्देश्य से सबसे पहले सभी जिले में अलाव के लिए राशि भेजी. धनबाद में साढ़े दस लाख रुपये दिये. कहीं भी अलाव नहीं जल रहा है. अधिकारियों से पूछने पर बताते हैं कि अलाव जल रहा है. एक आध जगह अलाव जलाये गये होंगे लेकिन सभी जगह जल रहा हो ऐसा नहीं लगता. आमलोग सूचित करें कि उनके यहां अलाव जल रहा है या नहीं. लोग शिकायत भी नहीं करते, ऐसे मॉनीटरिंग संभव नहीं है.
वीडियो फोटोग्राफर नहीं मिलता : डीडीसी दिनेश चंद्र मिश्र ने बताया कि मंत्रीजी ने उनसे पूछा था, सभी सीओ को उसी दिन निर्देश दे दिया गया. इस बार जटिल प्रक्रिया है. अलाव जलाने के साथ उसकी फोटोग्राफी भी करानी है. अलाव जलाने के लिए अधिकारी और कर्मचारी तो तैयार हैं लेकिन वीडियोग्राफर रात भर जगने को तैयार नहीं. इसके लिए यही उपाय है कि या तो फोटोग्राफी नहीं हो या फिर बचे हुए पैसे से कंबल खरीद कर गरीबों के बीच बंटवा दिये जाएं .