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कहीं खंडहर तो कहीं सीढ़ी के नीचे बन रहा बच्चों का एमडीएम

धनबाद: छपरा में विषाक्त एमडीएम खाने से हुई 22 बच्चों की मौत ने संभल जाने एवं लापरवाही नहीं बरतने का सबक भी दिया है. इसको लेकर कुछ स्कूलों ने सावधानियां बरतनी शुरू कर दी है तो कुछ को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. स्कूलों में आज भी बच्चों के खाने के साथ मजाक जारी […]

धनबाद: छपरा में विषाक्त एमडीएम खाने से हुई 22 बच्चों की मौत ने संभल जाने एवं लापरवाही नहीं बरतने का सबक भी दिया है. इसको लेकर कुछ स्कूलों ने सावधानियां बरतनी शुरू कर दी है तो कुछ को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. स्कूलों में आज भी बच्चों के खाने के साथ मजाक जारी है. कहीं पर खंडहर जैसे कमरे को तो कहीं पर सीढ़ी को ही किचन बना दिया गया है. कई स्कूलों में तो किचन को ही स्टोर रूम बना दिया गया है. प्रभात खबर ने गुरुवार को कुछ सरकारी स्कूलों के किचन का जायजा लिया. जहां बच्चों का एमडीएम कतई पौष्टिक नहीं था. लगभग सभी स्कूलों में चावल (भात) की गुणवत्ता खराब तो पानी जैसी दाल मिली.

बरत रहें सावधानी : राजकीयकृत मध्य विद्यालय, पतराकुल्ही के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बताया कि छपरा की घटना के बाद वे एमडीएम मामले में अधिक सावधानी बरत रहे हैं. अब बच्चों को एमडीएम परोसे जाने से पहले स्कूल की किसी शिक्षिका एवं माता समिति सदस्य खुद खाती हैं. इसके बाद ही बच्चों की थाली में परोसा जाता है.

भय से खाना नहीं खा रहे थे बच्चे
गोविंदपुर के एक स्कूल में छपरा की घटना से भयभीत छात्रों ने गुरुवार को खाना खाने से मना कर दिया. इसके बाद वहां की माता समिति, शिक्षक एवं बीइइओ को खाना खाने को कहा गया, ताकि बच्चों का भय दूर हो.

जिला स्तर पर एक गाइडलाइन
डीएसइ डीडी राय ने बताया कि जहां किचन शेड की जरूरत नहीं, वहां से हटा कर जरूरत की जगह दिये जायेंगे. आंतरिक सुरक्षा भी जरूरी है, ताकि माता समिति व शिक्षक के अलावा कोई अन्य व्यक्ति किचन में नहीं जाये. संज्ञान में आयी बातों व व्यावहारिक पक्ष को ध्यान में रखते हुए जिला स्तर पर भी एक गाइडलाइन जारी किया जायेगा.

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