धनबाद: बीसीसीएल अपनी परिधि वाले पांच गांवों की अलग-अलग परिवारों की 250 महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सतत विकास के माध्यम से पहला पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने को तैयार है.
इसके लिए सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. हाल में ही बीसीसीएल व झारखंड सिल्क टेक्सटाइल एंड हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (झारक्राफ्ट) के बीच आपसी समझौता पत्र साइन हुआ है. बीसीसीएल बोर्ड ने भी इसकी मंजूरी दे दी है. इसकी शुरुआत मुकुंदा से की जायेगी, जहां हैंडलूम ट्रेनिंग के माध्यम से वहां की महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जायेगा. इसके लिए बीसीसीएल झारक्राफ्ट को 16.39 लाख देगा. पूरे प्रोजेक्ट पर बीसीसीएल लगभग 1.83 करोड़ खर्च करेगा.
दो माह की ट्रेनिंग
महिलाओं को झारक्राफ्ट दो माह की ट्रेनिंग देगा. उस के बाद कपड़ा बनाने के लिए प्रोडक्शन शुरू किया जायेगा. झारक्राफ्ट कपड़े की क्वालिटी की जांच करेगा. लाभुक महिलाओं के द्वारा उत्पादित कपड़े को झारक्राफ्ट ही खरीद लेगा. जो भी लाभ होगा, उसे मेहनत के अनुपात में लाभुकों के बीच बांट दिया जायेगा.
प्रोजेक्ट की अवधि दो वर्ष
मुकुंदा में इस प्रोजेक्ट की अवधि दो वर्ष की होगी. इस के बाद कपड़ा उत्पादन मशीन, कपड़ा उत्पादन करने वाले लूम (करघा ) व रॉ मेटेरियल महिलाओं के ग्रुप को सौंप दिया जायेगा. जो स्वावलंबी सह रोजगार सोसाइटी मुकुंदा के सहयोग से कपड़े का उत्पादन आने वाले दिनों में करेंगी व महिलाओं के लिए लंबी अवधि तक औद्योगिक रोजगार का सृजन करती रहेगी. मुकुंदा की सफलता के आधार पर बीसीसीएल अपनी परिधि के गड़ेरिया, नूतन ग्राम, अलकडीहा व पंचमोहाल गांव में इस प्रोजेक्ट को चालू करेगा.
एक परिवार से एक ही महिला
हैंडलूम ट्रेनिंग के लिए 20 महिलाओं का एक ग्रुप बनाया जायेगा. एक परिवार से एक ही महिला को ट्रेनिंग दी जायेगी. कंपनी पांचों गांव से लगभग ढ़ाई सौ परिवार की महिलाओं को ट्रेनिंग देगी.
सहमति पत्र पर समझौता
झारक्राफ्ट के साथ कंपनी ने आपसी सहमति पत्र पर समझौता कर लिया है. जल्द मुकुंदा से इसकी शुरुआत की जायेगी, ताकि महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जा सके. विनय कुमार पण्डा, कार्मिक निदेशक, बीसीसीएल