धनबाद: चार माह में पेट्रोल-डीजल के दाम में लगातार गिरावट आयी है. डीजल के दाम प्रति लीटर 6.84 रुपये कम हुए हैं. इसके बावजूद ऑटो व बस के किराये में कोई कमी नहीं आयी है. जबकि डीजल के दाम बढ़ने के साथ ही ऑटो व बस का किराया बढ़ा दिया जाता है. पब्लिक ने कई बार प्रशासन से हस्तक्षेप का आग्रह किया. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जबकि राजधानी रांची में काफी पहले ही किराया कम किया जा चुका है.
तीन से पांच हुआ था न्यूनतम किराया
पिछले साल ऑटो का न्यूनतम किराया तीन रुपया था, जो बढ़ा कर पांच रुपया कर दिया गया. तर्क था कि डीजल के दाम बढ़ गये हैं. लेकिन जब डीजल के दाम 6.84 रुपये कम हुए हैं, तब भी किराया कम नहीं किया जा रहा है. इससे लोगों में गुस्सा है. क्योंकि डीजल की कीमत में मामूली बढ़त का असर भी दूसरे दिन से दिखने लगता है. हर तरफ महंगाई बढ़ जाती है.
प्रशासन पहल करे तो विचार करेंगे : टेंपो एसोसिएशन
टेंपो एसोसिएशन के महासचिव छोटन सिंह ने कहा कि भाड़ा के संबंध में विचार चल रहा है. प्रशासन की ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गयी है. प्रशासन से वार्ता के बाद ही भाड़ा पर निर्णय लिया जायेगा. पिछले साल 45 से बढ़ कर 54 रुपये प्रति लीटर डीजल होने के बाद ही किराया बढ़ाया गया था.
आचार संहिता के बाद लिया जायेगा निर्णय : एसडीओ
एसडीओ अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि चुनाव आचार संहिता की प्रक्रिया खत्म होने के बाद इस पर निर्णय लिया जायेगा. टेंपो एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को बुलाया जायेगा. भाड़ा घटाने से संबंधित सकारात्मक पहल की जायेगी.
प्रवीण गोयल, शास्त्रीनगर : प्रशासन की उदासीनता के कारण ऑटो चालक मनमानी करते हैं. जब डीजल का दाम बढ़ा था तो खुद प्रशासन ने पहल कर किराया बढ़ाया. लेकिन अब प्रशासन पहल क्यों नहीं करता?
रिंकू सिंह, झरिया : ऑटो चालकों पर अंकुश लगना चाहिए. किराया कम करने के लिए जिला प्रशासन को त्वरित पहल करनी चाहिए. अधिक किराये लगने से जनता आक्रोशित है. कहीं स्थिति विस्फोटक न हो जाये.
संजय गोयल, पार्क मार्केट : पिछले साल डीजल के दाम बढ़ने के साथ किराया बढ़ा दिया गया. तय हुआ कि जितनी सीट है, उतने यात्री बैठायेंगे. लेकिन टेंपो चालक सीट से डेढ़ से दो गुणा अधिक यात्री बैठा कर चलते हैं. जिला प्रशासन को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए.
संजीव राणा, विनोद नगर : जिला प्रशासन के उदासीन रवैये के कारण ऑटो चालक मनमानी करते हैं. डीजल के दाम में लगातार गिरावट आ रही है. इसके बावजूद भाड़ा कम नहीं हो रहा. जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना चाहिए. यह जनता से जुड़ा मुद्दा है.