धनबाद: धनबाद पुलिस ने एटीएम कार्ड से रुपया निकालने वाले इंटरस्टेट गिरोह का पर्दाफाश किया है. मंगलवार को गिरोह के दो सदस्य पुलिस के हत्थे चढ़े. ये हैं पांडरपाला निवासी मो. इम्तियाज और मो. सलाउद्दीन. पुलिस गिरोह के बाकी सदस्यों का पता लगा रही है. धनबाद थाना प्रभारी श्रीकांत उपाध्याय व प्रशिक्षु डीएसपी जयदीप लकड़ा के नेतृत्व में पुलिस को यह सफलता मिली है. पुलिस ने दोनों के पास से एक बाइक, गोंद, चार एटीएम कार्ड व अन्य सामान बरामद किये हैं. पुलिस ने इस सिलसिले में मामला दर्ज कर लिया है.
ऐसे हुई मामला का खुलासा : प्रशिक्षु डीएसपी जयदीप लकड़ा ने बताया कि सोमवार को बाइक चेकिंग के दौरान इम्तियाज व सलाउद्दीन पॉलिटेकनिक मोड़ से पकड़े गये थे. उनके पास से चार एटीएम कार्ड मिले. पुलिस को शक हुआ और एटीएम कार्ड की जांच की गयी. पता चला कि तीन एटीएम कार्ड ओड़िशा केंद्र पाड़ा के एयूएल थाना निवासी विष्णु प्रिया साहू, जाजपुर निवासी अंतरंग समन, जगतसिंहपुर निवासी टुंगा साहू का है. जबकि चौथा एटीएम कार्ड सलाउद्दीन का था. पुलिस ने ओड़िशा के तीनों लोगों से फोन पर संपर्क किया. उन्होंने बताया कि उनका एटीएम कार्ड किसी व्यक्ति ने ले लिया था. इस संबंध में नजदीकी थाना में मामला दर्ज कराया गया है. छानबीन में पता चला कि विष्णु के एटीएम कार्ड से 29 हजार, टुंगा के एटीएम से 90 हजार रुपया की निकासा इन लोगों ने कर ली है. पुलिस के अनुसार गिरोह के सदस्य ओड़िशा, आंध्र प्रदेश व बंगाल में सक्रिय हैं. यह भी पता चला कि सलाउद्दीन ने एक माह के अंदर 2.5 लाख रुपया दूसरे के एटीएम कार्ड से निकाले हैं. वहीं उसके एकाउंट में डेढ़ लाख रुपया से ज्यादा के ट्रांजेक्शन हुए हैं.
पहले भी जा चुके हैं जेल : छानबीन में पता चला कि सलाउद्दीन इसके पहले जमशेदपुर के साकची थाना से जेल जा चुका है. जबकि इम्तियाज बंगाल के झाड़ग्राम से जेल गया हुआ है. पुलिस दोनों के आपराधिक इतिहास का पता लगा रही है. हालांकि दोनों ने अभी तक धनबाद में किसी भी प्रकार की घटना को अंजाम देने से इनकार किया है.
ऐसे फांसते थे शिकार
सलाउद्दीन व इम्तियाज ने पुलिस को बताया कि दोनों एटीएम मशीन के आस पास भटकते रहते थे. जैसे ही कोई बुजुर्ग या महिला एटीएम से रुपया निकालने के लिए अंदर जाती है तो वे भी पीछे से अंदर चले जाते थे. किसी न किसी बात में उलझा कर उनका एटीएम कार्ड बदल देते थे. नहीं तो कार्ड स्वीप करने के बाद एटीएम खराब होने की बात बता रुपया अपने एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते थे. कई बार एटीएम कार्ड के काले जैसे चीप पर गोंद लगा कर दूसरा एटीएम कार्ड दे देते थे और बाद में उनका पूरा एकाउंट खाली करते थे.