संजीव झा, धनबाद : धनबाद जिला परिषद में तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के स्वीकृत हैं 315 पद. इसके विरुद्ध वर्तमान में 60 कर्मी ही कार्यरत हैं. राज्य के सबसे समृद्ध जिला परिषद में से एक धनबाद जिला परिषद में वर्ष 1986 से कोई नयी बहाली नहीं हुई है. उसी वर्ष तत्कालीन बिहार सरकार ने जिप बोर्ड को भंग कर दिया था.
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33 वर्षों से जिला परिषद में कोई बहाली नहीं
संजीव झा, धनबाद : धनबाद जिला परिषद में तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के स्वीकृत हैं 315 पद. इसके विरुद्ध वर्तमान में 60 कर्मी ही कार्यरत हैं. राज्य के सबसे समृद्ध जिला परिषद में से एक धनबाद जिला परिषद में वर्ष 1986 से कोई नयी बहाली नहीं हुई है. उसी वर्ष तत्कालीन बिहार सरकार ने […]
उसके बाद यहां वर्ष 2010 तक मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ही जिला परिषद का काम-काज देखते रहे. बोर्ड भंग होने के बाद यहां बहाली रोक दी गयी. पिछले 33 वर्षों में यहां केवल अनुकंपा के आधार पर ही बहाली हुई है.
लिहाजा अभी जिला परिषद में 60 कर्मी ही कार्यरत हैं. इसमें चतुर्थ वर्गीय कर्मी भी शामिल हैं. इन्हीं कर्मियों के जिम्मे जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों में संस्थान की अचल परिसंपत्तियों की जिम्मेदारी है. काम के बढ़ते दबाव को देखते हुए 23 दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को रखा गया है.
कोई डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी नहीं
जिला परिषद का पूरे जिला में 36 स्वास्थ्य केंद्र है. इसमें होमियोपैथिक 16, आयुर्वेदिक के 18 तथा यूनानी के दो स्वास्थ्य केंद्र हैं. इन सभी केंद्रों पर एक से दो चिकित्सक के अलावा चिकित्सा कर्मी रहते थे. दो एमबीबीएस डॉक्टर जिला परिषद मुख्यालय में बैठते थे. एक-एक कर सभी डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी रिटायर हो गये.
उनकी जगह किसी की बहाली नहीं हुई. लिहाजा आज की तिथि में सारे स्वास्थ्य केंद्रों पर ताला लटका हुआ है. इन्हें खोलने की कोई पहल भी नहीं हो रही है. करोड़ों के भवन जर्जर हो रहे हैं. स्वास्थ्य केंद्रों के बंद होने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उपचार में भी कठिनाई हो रही है.
नब्बे के दशक में बदहाल हो गयी थी माली हालत
जिला परिषद धनबाद की माली हालत नब्बे के दशक में गड़बड़ा गयी थी. एक समय वहां के कर्मचारियों को वेतन तक का आफत हो गया था. जिला परिषद कर्मचारी संघ ने सुप्रीम कोर्ट से केस जीत कर वेतन मद के लिए बिहार सरकार से राशि आवंटित करवायी थी. उसी राशि को बैंकों में एफडी करा कर उसके सूद से कर्मियों को वेतन दिया जा रहा है. इस कारण भी जिला परिषद में नयी बहाली बंद है.
रिक्त पदों पर बहाली के लिए होगा विचार : चेयरमैन
जिला परिषद के चेयरमैन रोबिन चंद्र गोराईं मानते हैं कि संस्थान में मैन पावर की भारी कमी है. इसके चलते काम-काज बाधित हो रहा है. इस मामले पर विचार होगा. कोशिश होगी की रिक्त पदों के विरुद्ध कर्मियों की बहाली हो. इसे जिप बोर्ड की बैठक में रखा जायेगा.
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