धनबाद : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम ने कोयलांचल में भाजपा नेतृत्व की नींद उड़ा दी है. मिशन 2019 की राह में यहां के पार्टी नेताओं की आपसी खींचतान भारी पड़ सकती है. धनबाद एवं गिरिडीह दोनों लोकसभा सीट के अलावा जिला की छह में से पांच सीटें भी अभी भाजपा गठबंधन के पास है. इन सीटों को बचाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी.
ये मुद्दे पड़ सकते हैं भारी
धनबाद -चंद्रपुरा रेल लाइन का बंद होना, धनबाद से खुलने व गुजरने वाली 19 जोड़ी ट्रेनों का बंद होना, धनबाद से हावड़ा-नयी दिल्ली दुंरतो ट्रेन का छिनना, बकाया बिजली बिल के लिए जब-तब डीवीसी द्वारा घंटों लोड शेडिंग कर देना,धनबाद के लिए घोषित ट्रॉमा सेंटर का छीन लिया जाना, पीएमसीएच में एमबीबीएस की 100 सीटों को घटा कर 50 करना, धनबाद में एयरपोर्ट का मामला ठंडे बस्ते में चले जाना.
इन मुद्दों पर यहां के जन प्रतिनिधि जनता के सवालों से बचते रह रहे हैं. नेताओं की कोशिश है कि आम चुनाव से पहले किसी तरह बंद डीसी रेल लाइन पर ट्रेन चलवा दिया जाये. इसके लिए कोशिश भी तेज हो गयी है.
मनईटांड़ मंडल अध्यक्ष पुत्र प्रकरण भी पड़ेगा भारी
भाजपा मनईटांड़ मंडल अध्यक्ष दिलीप सिंह के पुत्र एवं भतीजा को हेलमेट चेकिंग के दौरान सरायढेला की एक महिला एएसआइ से हुए विवाद मामले में जिस तरह से पार्टी की फजीहत हुई, वह भी अगले चुनाव में सुलग सकता है. कार्यकर्ता आज भी इस मामले में यहां के जन प्रतिनिधियों के रवैये से नाराज हैं.
सरकार एवं संगठन के बीच समन्वय का साफ अभाव है. कार्यकर्ता साफ कहते हैं कि उनलोगों की बात न तो सरकार सुन रही है और न ही जन प्रतिनिधि. मनईटांड़ मंडल अध्यक्ष के पुत्र-भतीजे को जेल जाने के बाद दबाव बढ़ा तो पुलिस सुपरविजन में थोड़ी राहत मिली.
नेताओं की तल्खी से भी पार्टी मुश्किल में
धनबाद में भाजपा दो-तीन गुटों में बंटी हुई है. एक गुट का नेतृत्व सांसद पीएन सिंह कर रहे हैं. इस गुट में विधायक राज सिन्हा, फूलचंद मंडल के अलावा जिला संगठन के कई पदाधिकारी हैं. दूसरे गुट में मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल, बाघमारा विधायक ढुलू महतो हैं. झरिया विधायक संजीव सिंह जो पिछले डेढ़ वर्ष से जेल में बंद हैं के समर्थक अभी ऊहापोह में हैं. कार्यकर्ता भी गुटों में बंटे हुए हैं.