किडनी का था मरीज, परिजनों के पास नहीं थे पैसे, सरकारी एंबुलेंस से गयी लाश
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इलाज के अभाव में मर गया अर्जुन बिरहोर, आठ घंटे तक पड़ा रहा शव
किडनी का था मरीज, परिजनों के पास नहीं थे पैसे, सरकारी एंबुलेंस से गयी लाश धनबाद : झारखंड की विलुप्त जनजाति में शामिल बिरहोर समुदाय के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है. तोचचांची के चलकरी निवासी स्व दुगन बिरहोर के पुत्र अर्जुन बिरहोर (40) ने आखिरकार […]
धनबाद : झारखंड की विलुप्त जनजाति में शामिल बिरहोर समुदाय के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है. तोचचांची के चलकरी निवासी स्व दुगन बिरहोर के पुत्र अर्जुन बिरहोर (40) ने आखिरकार समुचित इलाज नहीं मिलने के कारण सोमवार की रात 11.30 बजे पीएमसीएच में दम तोड़ दिया.
शव ले जाने के लिए परिजनों के पास फूटी कौड़ी नहीं थी. रात भर मेडिसिन वार्ड में ही शव पड़ा रहा. आठ घंटे के बाद सुबह 8.30 बजे सरकारी एंबुलेंस मुहैया करायी गयी. तब जाकर शव पीएमसीएच से चलकरी (तोपचांची) भेजा गया. अर्जुन किडनी रोग से ग्रसित थे. निधन की सूचना पर रात में ही परिजन पीएमसीएच आ गये थे.
मुश्किल से हुआ था भर्ती : दो जनवरी को तबीयत खराब होने के बाद अर्जुन बिरहोर को पीएमसीएच लाया गया था. लेकिन पीएमसीएच में चिकित्सकों की हड़ताल चल रही थी. इस कारण अर्जुन इमरजेंसी के गेट के पास चार घंटे तक तड़पता रहा. इसके बाद उसे भर्ती किया गया था.
दो माह तक लगाता रहा रिम्स-पीएमसीएच का चक्कर
अर्जुन बिरहोर को गंभीर हालत में दो जनवरी को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था. 20 जनवरी को पीएमसीएच के चिकित्सकों ने मरीज को यह कहकर रिम्स रेफर कर दिया कि यहां समुचित इलाज संभव नहीं है. इसके बाद अर्जुन को लेकर उसके भाई रिम्स रांची चला गया. रिम्स में कुछ दिन रहने के बाद 30 जनवरी को चिकित्सकों ने वापस पीएमसीएच रेफर कर दिया. बताया कि पीएमसीएच में इलाज संभव है. इसके बाद अर्जुन को पीएमसीएच के मेडिसिन वार्ड में भर्ती कर दिया गया था.
अर्जुन बिरहोर की दोनों किडनी खराब हो गयी थी. इलाज करने वाले संबंधित चिकित्सक से जानकारी ली है. अस्पताल की ओर से जितना हो पाया, किया गया. एक एंबुलेंस उपलब्ध करा कर शव को घर तक भेजा गया.
डॉ सिद्धार्थ सान्याल, अधीक्षक, पीएमसीएच.
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